मथुरा(उत्तर प्रदेश):- जनपद मथुरा में जिला सूचना अधिकारी (DPRO) किरण चौधरी को रिश्वत लेने के आरोप में विजिलेंस टीम ने रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। यह कार्रवाई लखनऊ से आई विजिलेंस टीम ने की। टीम ने किरण चौधरी को उनके घर से पकड़ा और अपनी गाड़ी में बैठाकर पूछताछ के लिए ले गई। इस गिरफ्तारी के बाद जिले में हड़कंप मच गया है क्योंकि यह मामला प्रशासनिक स्तर पर गंभीर भ्रष्टाचार को उजागर करता है। सूत्रों के मुताबिक, विजिलेंस टीम को काफी समय से शिकायतें मिल रही थीं कि मथुरा की DPRO किरण चौधरी विभिन्न कार्यों में रिश्वत लेकर लोगों को लाभ पहुंचा रही हैं।
शिकायतें सही साबित करने के लिए टीम ने जाल बिछाया और ट्रैप ऑपरेशन के तहत उन्हें रंगे हाथ पकड़ने की योजना बनाई। बताया जा रहा है कि यह कार्रवाई पहले से ही तय थी और विजिलेंस टीम ने पूरी तैयारी के साथ इस ऑपरेशन को अंजाम दिया। सोमवार सुबह लखनऊ से आई विजिलेंस टीम ने मथुरा स्थित DPRO किरण चौधरी के घर पर दबिश दी। टीम ने उनके घर की तलाशी ली और पूछताछ की। उसी दौरान उन्होंने रिश्वत लेते हुए किरण चौधरी को रंगे हाथों पकड़ लिया। विजिलेंस टीम ने तत्काल कार्रवाई करते हुए उन्हें अपनी गाड़ी में बैठाया और आगे की जांच के लिए ले गई। इस पूरे घटनाक्रम को बेहद गुप्त रखा गया था ताकि कोई भी सूचना लीक न हो।
विजिलेंस टीम को पहले ही पक्की जानकारी मिल गई थी कि DPRO किरण चौधरी नियमित रूप से अवैध लेन-देन में लिप्त हैं। एक व्यक्ति से तय रकम लेने के दौरान टीम ने उन्हें रंगे हाथ पकड़ने की योजना बनाई थी। जैसे ही उन्होंने पैसे विजिलेंस टीम ने उन्हें मौके पर ही पकड़ लिया।इस दौरान विजिलेंस अधिकारियों ने सभी साक्ष्यों को इकट्ठा किया जिसमें बातचीत की रिकॉर्डिंग और रिश्वत की रकम शामिल थी। बाद में उन्हें कानूनी प्रक्रिया के तहत गिरफ्तार कर लिया गया।
DPRO जैसे बड़े प्रशासनिक पद पर तैनात अधिकारी की गिरफ्तारी से पूरे मथुरा जिले में हलचल मच गई। स्थानीय प्रशासन और सरकारी महकमों में यह चर्चा का विषय बन गया कि किस तरह एक अधिकारी पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं और उन्हें विजिलेंस टीम ने रंगे हाथों पकड़ लिया। सूत्रों के अनुसार विजिलेंस की टीम इस मामले में आगे की कार्रवाई कर रही है और यह भी जांच की जा रही है कि इस भ्रष्टाचार में और कौन-कौन लोग शामिल हैं। संभावना जताई जा रही है कि कुछ अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों की भी संलिप्तता हो सकती है।
जानकारी के अनुसार, किरण चौधरी पर पहले भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे लेकिन उन मामलों में ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी थी। कई शिकायतकर्ताओं ने यह आरोप लगाया था कि बिना रिश्वत दिए किसी भी कार्य को पूरा नहीं किया जाता था। हालांकि अब विजिलेंस टीम की कार्रवाई के बाद यह साफ हो गया है कि इन आरोपों में सच्चाई थी। उत्तर प्रदेश सरकार और प्रशासन भ्रष्टाचार के मामलों में सख्त कार्रवाई कर रहा है। बीते कुछ वर्षों में विजिलेंस और एंटी करप्शन ब्यूरो ने कई अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ जांच की है और कई को गिरफ्तार भी किया गया है। इस ताजा मामले के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों पर कार्रवाई जारी रहेगी।
गिरफ्तारी के बाद विजिलेंस टीम ने किरण चौधरी से पूछताछ शुरू कर दी है। संभावना है कि उनसे जुड़े अन्य भ्रष्टाचार के मामलों का भी खुलासा हो सकता है। टीम इस बात की भी जांच कर रही है कि उनके नेटवर्क में कौन-कौन लोग शामिल हैं और उन्होंने अब तक कितने लोगों से अवैध रूप से धन उगाही की है। DPRO किरण चौधरी की गिरफ्तारी प्रशासनिक व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करती है। विजिलेंस टीम की इस कार्रवाई से यह संदेश गया है कि सरकारी पदों पर बैठे लोग अगर भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। इस मामले में आगे क्या-क्या खुलासे होते हैं यह देखना दिलचस्प होगा।