नई दिल्ली:- वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की बैठक में जोरदार हंगामा हुआ जिसके बाद समिति ने बड़ा कदम उठाते हुए असदुद्दीन ओवैसी और इमरान मसूद सहित विपक्ष के 10 सांसदों को एक दिन के लिए निलंबित कर दिया। यह विवाद वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और नियमन में प्रस्तावित बदलावों को लेकर सामने आया।
मंगलवार को संसद भवन में वक्फ संशोधन अधिनियम पर चर्चा के लिए जेपीसी की बैठक आयोजित की गई। बैठक के दौरान कई विपक्षी सांसदों ने संशोधन के प्रस्तावों का कड़ा विरोध किया। चर्चा के दौरान विपक्षी सांसदों ने सरकार पर आरोप लगाया कि यह संशोधन मुस्लिम समुदाय की संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण बढ़ाने की कोशिश है।
इस बीच असदुद्दीन ओवैसी और इमरान मसूद ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए इसे अल्पसंख्यक विरोधी करार दिया। उनका कहना था कि इस अधिनियम से वक्फ संपत्तियों के स्वायत्तता पर आघात पहुंचेगा। हंगामा इतना बढ़ गया कि बैठक में व्यवधान उत्पन्न हुआ और समिति के कार्य को बाधित करना पड़ा।
जेपीसी अध्यक्ष ने हंगामे और अनुशासनहीनता को देखते हुए असदुद्दीन ओवैसी इमरान मसूद और विपक्ष के 8 अन्य सांसदों को एक दिन के लिए निलंबित करने का निर्णय लिया। समिति ने इसे अनुशासनहीनता के खिलाफ सख्त संदेश करार दिया।
विपक्षी दलों ने इस कार्रवाई को “अलोकतांत्रिक” बताते हुए इसका विरोध किया। उनका कहना है कि निलंबन के जरिए सरकार बहस को दबाने की कोशिश कर रही है। असदुद्दीन ओवैसी ने इसे “संसदीय परंपराओं का उल्लंघन” बताते हुए कहा कि यह कदम अल्पसंख्यकों की आवाज़ को दबाने का प्रयास है।
सत्ताधारी दल के नेताओं का कहना है कि वक्फ संशोधन अधिनियम का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों का सही प्रबंधन और उपयोग सुनिश्चित करना है। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष चर्चा को बाधित कर रहा है और विकास के कार्यों में अड़चन डालने का प्रयास कर रहा है।
वक्फ संशोधन अधिनियम में प्रस्तावित बदलावों में वक्फ संपत्तियों के स्वामित्व और उपयोग की निगरानी के प्रावधान शामिल हैं। इन बदलावों को लेकर विपक्ष का कहना है कि सरकार अल्पसंख्यकों की संपत्तियों पर नियंत्रण स्थापित करना चाहती है। वहीं सरकार का तर्क है कि यह संशोधन वक्फ बोर्डों के कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने के लिए जरूरी है।
विधि विशेषज्ञों का कहना है कि वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार लाना जरूरी है लेकिन इसके लिए व्यापक चर्चा और सहमति आवश्यक है। हंगामे और निलंबन जैसे कदम समस्या का समाधान नहीं हैं बल्कि इससे मुद्दा और उलझ सकता है।
वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर जेपीसी में हुए हंगामे और निलंबन ने संसद के भीतर अल्पसंख्यक मुद्दों पर बहस को नया आयाम दे दिया है। जहां सरकार इसे सुधार का कदम बता रही है वहीं विपक्ष इसे अधिकारों पर हमला मान रहा है। आगे की प्रक्रिया इस पर सहमति बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।