वाराणसी (उत्तर प्रदेश):- वाराणसी जिले के चोलापुर की रहने वाली रोशनी ने अपने दमखम और लगन से न सिर्फ अपने गांव बल्कि पूरे जिले का नाम रोशन किया है। मात्र तीन वर्षों के भीतर रोशनी ने सात राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लिया और उनमें से पांच में स्वर्ण पदक जीतकर अपनी काबिलियत साबित की। उनकी यह यात्रा गांव की पगडंडियों से शुरू होकर राष्ट्रीय और अब अंतरराष्ट्रीय ट्रैक तक पहुंच चुकी है।
रोशनी का परिवार एक साधारण पृष्ठभूमि से आता है। उनके पिता किसान हैं और परिवार के पास सीमित संसाधन हैं। लेकिन रोशनी ने अपनी मेहनत और लगन से इन सभी बाधाओं को पार किया। बचपन में रोशनी ने अपने गांव की पगडंडियों पर दौड़कर अपनी तैयारी शुरू की। उनके पास न तो अच्छे जूते थे न ही किसी प्रकार की सुविधाएं लेकिन उनका हौसला अडिग रहा।
रोशनी बताती हैं गांव में लड़कियों का खेलों में हिस्सा लेना आसान नहीं था। कई बार लोगों ने ताने दिए लेकिन मैंने खुद को कभी कमजोर महसूस नहीं होने दिया। मेरे माता-पिता हमेशा मेरे साथ खड़े रहे।
रोशनी के करियर का टर्निंग पॉइंट तब आया जब उन्होंने वाराणसी में आयोजित एक जिला स्तरीय प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। इस प्रतियोगिता में उनकी शानदार दौड़ ने कोच और अधिकारियों का ध्यान खींचा। इसके बाद उन्हें प्रोफेशनल ट्रेनिंग के लिए चुना गया। उनके कोच का कहना है कि रोशनी की दृढ़ता और मेहनत ने उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
तीन साल के भीतर रोशनी ने सात राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लिया और इनमें पांच स्वर्ण पदक जीते। उनकी प्रमुख उपलब्धियों में 100 मीटर और 200 मीटर स्प्रिंट दौड़ शामिल हैं। उनका समय और तकनीक उन्हें अन्य खिलाड़ियों से अलग बनाते हैं।
राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में सफलता के बाद रोशनी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मौके मिलने लगे। हाल ही में उन्होंने एशियाई खेलों के लिए क्वालिफाई किया है और देश के लिए पदक जीतने की तैयारी कर रही हैं। उनके कोच का मानना है कि अगर रोशनी इसी तरह मेहनत करती रहीं तो वह जल्द ही ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व कर सकती हैं।
रोशनी की सफलता ने उनके गांव की अन्य लड़कियों को भी प्रेरित किया है। अब कई लड़कियां खेलों में अपनी किस्मत आजमाने के लिए उत्साहित हैं। उनके परिवार और गांव वाले भी अब उनकी उपलब्धियों पर गर्व करते हैं।
रोशनी की उपलब्धियों को देखते हुए जिला प्रशासन ने भी उनकी मदद का आश्वासन दिया है। उन्हें बेहतर ट्रेनिंग सुविधाएं और आर्थिक सहायता मुहैया कराने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
रोशनी का कहना है अगर आपको खुद पर विश्वास है और आप मेहनत करने से नहीं डरते तो कोई भी बाधा आपको रोक नहीं सकती। मेरे लिए अभी सफर शुरू हुआ है और मैं अपने देश के लिए और भी बड़ी उपलब्धियां हासिल करना चाहती हूं।
रोशनी की कहानी न सिर्फ उनके संघर्ष और सफलता को दर्शाती है बल्कि यह भी बताती है कि छोटे गांवों से आने वाले प्रतिभाशाली खिलाड़ी भी अगर सही दिशा और समर्थन पाए तो वे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना नाम कमा सकते हैं।