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जेपीसी की बैठक में हंगामा: वक्फ संशोधन बिल पर बवाल, 10 सांसद एक दिन के लिए सस्पेंड

नई दिल्ली:- वक्फ संशोधन बिल को लेकर संसद की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की बैठक में गुरुवार को भारी हंगामा देखने को मिला। बैठक के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के सांसदों के बीच तीखी नोकझोंक हुई जो मार्शल बुलाने की नौबत तक पहुंच गई। असदुद्दीन ओवैसी, निशिकांत दुबे, और कल्याण बनर्जी जैसे वरिष्ठ नेताओं के बीच टकराव ने माहौल और गरमा दिया। हंगामे के बाद 10 विपक्षी सांसदों को एक दिन के लिए सस्पेंड कर दिया गया।

जेपीसी की बैठक में वक्फ संशोधन बिल पर चर्चा हो रही थी लेकिन विपक्षी सांसदों का आरोप था कि उन्हें बोलने का पर्याप्त मौका नहीं दिया गया। विपक्ष ने कहा कि यह बिल अल्पसंख्यकों के अधिकारों को प्रभावित कर सकता है और इसे पारित करने से पहले व्यापक चर्चा की आवश्यकता है।

चर्चा के दौरान निशिकांत दुबे (बीजेपी) और कल्याण बनर्जी (तृणमूल कांग्रेस) के बीच तीखी बहस हो गई। आरोप है कि इस बहस ने जल्द ही व्यक्तिगत हमलों का रूप ले लिया जिससे माहौल और तनावपूर्ण हो गया।

हंगामे के दौरान असदुद्दीन ओवैसी (एआईएमआईएम) समेत अन्य विपक्षी सांसदों ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह बहुमत का दुरुपयोग कर रही है और उनकी आवाज दबा रही है। मामला इतना बिगड़ गया कि स्थिति संभालने के लिए बैठक कक्ष में मार्शल बुलाए गए। इस घटना के बाद समिति के चेयरपर्सन ने असदुद्दीन ओवैसी, कल्याण बनर्जी और अन्य 8 सांसदों को सदन की मर्यादा भंग करने के आरोप में एक दिन के लिए सस्पेंड कर दिया।

सस्पेंड किए गए सांसदों ने इस कार्रवाई को असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक करार दिया। असदुद्दीन ओवैसी ने कहा हमारे विचार रखने का मौका नहीं दिया गया। यह लोकतंत्र की हत्या है। वक्फ संशोधन बिल अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला है और हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। कल्याण बनर्जी ने भी इसे राजनीतिक साजिश बताया और कहा कि सत्ता पक्ष चर्चा से बचना चाहता है। विपक्षी दलों ने एकजुट होकर इस घटना की कड़ी निंदा की।

बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वे जानबूझकर बैठक में बाधा डाल रहे थे। उन्होंने कहा यह बैठक वक्फ संशोधन बिल को लेकर चर्चा के लिए बुलाई गई थी लेकिन विपक्ष ने इसे बहस के बजाय राजनीतिक मंच बना दिया। समिति की गरिमा बनाए रखना हमारी प्राथमिकता है और यही कारण है कि कड़ी कार्रवाई की गई।

वक्फ संशोधन बिल 2025 में प्रस्तावित एक महत्वपूर्ण विधेयक हैं जिसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और सुधार लाना है। हालांकि विपक्ष का दावा है कि यह बिल अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों और संपत्तियों को प्रभावित कर सकता है।

क्या होगा आगे?

इस घटना के बाद संसद के भीतर और बाहर राजनीतिक माहौल और गर्म हो गया है। विपक्ष ने सस्पेंड सांसदों की बहाली और वक्फ बिल पर व्यापक चर्चा की मांग की है। वहीं सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि बिल पर चर्चा और सुधार प्रक्रिया जारी रहेगी लेकिन अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

जेपीसी की बैठक में हुए इस हंगामे ने न केवल संसदीय गरिमा पर सवाल उठाए हैं बल्कि वक्फ संशोधन बिल को लेकर अल्पसंख्यक समुदाय के बीच चिंताओं को भी बढ़ा दिया है। अब सबकी नजरें इस बात पर टिकी हैं कि सरकार और विपक्ष इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाते हैं।

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