अजमेर (राजस्थान):– प्रसिद्ध अजमेर दरगाह परिसर में प्राचीन शिव मंदिर होने के दावे को लेकर आज राजस्थान हाईकोर्ट में अहम सुनवाई होनी है। यह मामला धार्मिक और ऐतिहासिक विवादों के चलते चर्चा का केंद्र बना हुआ है। याचिकाकर्ता ने इस मुद्दे को न्यायालय के समक्ष उठाते हुए दावा किया है कि दरगाह के भीतर शिव मंदिर के अवशेष मौजूद हैं। इसके साथ ही उन्होंने अपनी जान को खतरा होने की आशंका भी जताई है।
मामला क्या है?
याचिकाकर्ता का कहना है कि दरगाह परिसर में प्राचीन शिव मंदिर स्थित था जिसे कालांतर में दरगाह में शामिल कर लिया गया। उन्होंने यह भी अनुरोध किया है कि इस क्षेत्र की ऐतिहासिक और पुरातात्विक जांच की जाए ताकि मंदिर से जुड़े साक्ष्यों को उजागर किया जा सके। याचिकाकर्ता के अनुसार इस दावे के समर्थन में ऐतिहासिक और धार्मिक दस्तावेज मौजूद हैं जिनकी पुष्टि के लिए विशेषज्ञों द्वारा सर्वेक्षण कराना आवश्यक है।
याचिकाकर्ता ने कोर्ट से यह अपील भी की है कि उन्हें और उनके परिवार को सुरक्षा प्रदान की जाए। उन्होंने आरोप लगाया है कि उनके इस कदम के कारण उन्हें कुछ संगठनों और समूहों से धमकियां मिल रही हैं। याचिकाकर्ता ने कहा कि यह मामला संवेदनशील है और इससे जुड़ी कोई भी कार्रवाई उनकी जान को खतरे में डाल सकती है।
दरगाह कमेटी ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा है कि यह आरोप पूरी तरह से आधारहीन हैं। उनका कहना है कि दरगाह परिसर सदियों से धार्मिक सहिष्णुता और सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक रहा है। कमेटी के अनुसार शिव मंदिर से जुड़े किसी भी तरह के अवशेष होने के दावे का कोई प्रमाण नहीं है और यह विवाद अनावश्यक रूप से धार्मिक भावनाओं को आहत करने का प्रयास है।
इस संवेदनशील मामले की सुनवाई आज राजस्थान हाईकोर्ट में होनी है। न्यायालय यह तय करेगा कि परिसर में किसी तरह का सर्वेक्षण कराया जाए या नहीं। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियां भी सतर्क हैं। कोर्ट परिसर और अजमेर दरगाह क्षेत्र में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।
यह मुद्दा धार्मिक और सामाजिक स्तर पर गहरा प्रभाव डाल रहा है। एक ओर जहां हिंदू संगठनों ने मंदिर के दावे को लेकर आवाज बुलंद की है वहीं मुस्लिम संगठनों और दरगाह प्रबंधन ने इसे सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिश करार दिया है।अजमेर दरगाह के इस मामले ने ऐतिहासिक और धार्मिक दावों को लेकर नई बहस छेड़ दी है। कोर्ट की सुनवाई के बाद ही यह स्पष्ट हो सकेगा कि इस विवाद का भविष्य क्या होगा। हालांकि फिलहाल सभी पक्षों की नजरें न्यायालय के निर्णय पर टिकी हैं।