ओडिशा (भुवनेश्वर):- नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 128वीं जयंती के अवसर पर ओडिशा हाईकोर्ट में एक महत्वपूर्ण याचिका दायर की गई है जिसमें उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता देते हुए उन्हें “राष्ट्रपुत्र” का दर्जा देने की मांग की गई है। यह याचिका ओडिशा के एक निवासी द्वारा दायर की गई है जिन्होंने न्यायालय से यह आग्रह किया है कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस को आधिकारिक रूप से ‘राष्ट्रपुत्र’ का सम्मानित दर्जा दिया जाए जो उन्हें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान के अनुरूप मिलेगा।
नेताजी सुभाषचंद्र बोस को भारतीय इतिहास में एक अत्यंत सम्मानित और प्रेरणादायक नेता के रूप में याद किया जाता है। उनके द्वारा आज़ादी के संघर्ष में निभाई गई भूमिका ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को एक नई दिशा दी थी। उनकी नेतृत्त्व क्षमता, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में योगदान और ‘दिल से’ भारत के लिए काम करने की भावना ने उन्हें करोड़ों भारतीयों का आदर्श बना दिया। लेकिन इसके बावजूद अब तक उन्हें एक औपचारिक और मान्यता प्राप्त राष्ट्रपुत्र का दर्जा नहीं दिया गया है।
ओडिशा हाईकोर्ट में दायर की गई याचिका ने इस मुद्दे को एक नया मोड़ दिया है। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में यह कहा कि नेताजी का योगदान और उनका बलिदान भारतीय इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण अध्यायों में से एक है और उन्हें “राष्ट्रपुत्र” का दर्जा देकर उनकी शौर्य गाथाओं को और सम्मान मिल सकता है।
कई भारतीयों का मानना है कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस को वह सम्मान मिलना चाहिए जिसके वह पूरी तरह से हकदार हैं। उनका नेतृत्व और भारतीय सेना की स्थापना जो उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) के रूप में की थी यह दर्शाता है कि उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया था। उनके योगदान को पूरी दुनिया ने देखा और भारतीयों ने हमेशा उन्हें एक महान नेता के रूप में सराहा है। इस याचिका के माध्यम से यह मांग की जा रही है कि उनकी महानता और योगदान को औपचारिक रूप से मान्यता दी जाए।
हालाँकि, इस मांग के खिलाफ भी कुछ तर्क दिए जा रहे हैं। कुछ लोग मानते हैं कि “राष्ट्रपुत्र” का दर्जा केवल राजनीतिक नेताओं तक सीमित रखना चाहिए और उन्हें यह मान्यता देना इतिहास के अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं को भुला देगा। वहीं कुछ लोग यह भी मानते हैं कि नेताजी का योगदान एक निर्विवाद सत्य है लेकिन उन्हें विशेष दर्जा देने से यह राजनीतिक विवादों का कारण बन सकता है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि ओडिशा हाईकोर्ट इस याचिका पर क्या निर्णय लेता है। क्या कोर्ट नेताजी सुभाषचंद्र बोस को राष्ट्रपुत्र का दर्जा देने की दिशा में कदम उठाएगा या यह मामला भविष्य में भी राजनीतिक और कानूनी बहस का हिस्सा बनेगा।
इस मांग के पीछे नेताजी के प्रति भारतीय जनता का गहरा सम्मान और श्रद्धा है और यह किसी भी सरकार या न्यायालय से आधिकारिक रूप से उनकी भूमिका और योगदान की मान्यता की ओर एक कदम हो सकता है।