वाशिंगटन(अमेरिका):- अमेरिका में रह रहे भारतीय प्रौद्योगिकी पेशेवरों जो मुख्य रूप से एच-1बी और एल-1 वीजा पर रहते हैं और उनके बच्चों के जीवन में अस्थिरता बढ़ती जा रही है। वीजा नियमों में लगातार हो रहे बदलाव लंबी वेटिंग लिस्ट और अनिश्चितता के माहौल ने इन परिवारों के जीवन को प्रभावित किया है। एच-1बी वीजा जो अत्यधिक कुशल श्रमिकों को अमेरिका में काम करने की अनुमति देता है को लेकर अक्सर नीतिगत बदलाव होते रहते हैं। वीजा आवेदनों की संख्या में वृद्धि के साथ वीजा प्राप्त करना कठिन होता जा रहा है।
इसके परिणामस्वरूप कई भारतीय पेशेवरों को लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता है जिससे उनके करियर और परिवार के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। एल-1 वीजा अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के कर्मचारियों को अमेरिका में स्थानांतरित करने की अनुमति देता है में भी कई चुनौतियां हैं। वीजा की वैधता अवधि सीमित होती है, जिससे परिवारों को अक्सर बार-बार वीजा नवीनीकरण के लिए आवेदन करना पड़ताजिससे मानसिक और आर्थिक बोझ बढ़ता है।
इन वीजा नियमों की अनिश्चितता का सबसे अधिक प्रभाव बच्चों पर पड़ रहा है। स्कूलों और दोस्तों से अलगाव लगातार स्थान परिवर्तन और अनिश्चित भविष्य के कारण बच्चों की शिक्षा और मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है। कई बच्चों को अपने माता-पिता से दूर रहना पड़ता है क्योंकि उन्हें अपने करियर को आगे बढ़ाने के लिए अलग-अलग शहरों या देशों में जाना पड़ता है। इसके अलावा अमेरिका में बढ़ता नस्लवाद और विदेशी-विरोधी भावना भी भारतीय समुदाय के लिए चिंता का विषय बन गया है। कई भारतीयों ने हाल के वर्षों में नस्लीय भेदभाव और हिंसा का सामना किया है जिससे उनके जीवन में असुरक्षा की भावना बढ़ गई है।
इन सभी मुद्दों के कारण कई भारतीय पेशेवरों ने अमेरिका में रहने और काम करने के विकल्पों पर पुनर्विचार करना शुरू कर दिया है। कुछ लोग अपने परिवारों के साथ भारत लौट रहे हैं जबकि अन्य लोग अन्य देशों में बेहतर अवसरों की तलाश कर रहे हैं। इस स्थिति से निपटने के लिए भारतीय सरकार को अमेरिकी सरकार के साथ मिलकर काम करना चाहिए ताकि इन वीजा नियमों में अधिक स्पष्टता और स्थिरता लाई जा सके। साथ ही भारतीय समुदाय को अमेरिका में रहते हुए अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना चाहिए और नस्लवाद और भेदभाव के खिलाफ लड़ाई में एकजुट होना चाहिए।