नई दिल्ली:- केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में कैडर अधिकारियों की नेतृत्व की कमजोरी को लेकर न्यायालयों में लंबी लड़ाई चल रही है। 2019 में अदालत से जीतने के बावजूद इन फैसलों को जमीन पर लागू नहीं किया जा सका है। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में बार-बार अर्जी लगाने के बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है। यह मुद्दा अब फिर से गर्मा गया है कि क्यों अर्धसैनिक बलों में कैडर अधिकारी टॉप पदों तक नहीं पहुंच पाते हैं।
पूर्व सीआरपीएफ के एडीजी एचआर सिंह का कहना है कि बल में ऐसे दो कैडर अधिकारी हैं जो नेतृत्व की सभी योग्यताओं को पूरा करते हैं। इन अधिकारियों को बल की बारीकियों की पूरी जानकारी है लिहाजा इन्हें डीजी (निर्देशक जनरल) और एडीजी (अडिशनल डायरेक्टर जनरल) जैसे पदों पर नियुक्त किया जाना चाहिए। वीजी कनेत्कर अर्धसैनिक बलों के पहले महानिदेशक ने भी बार-बार कहा कि इन बलों में आईपीएस अफसरों के लिए पद आरक्षित न किए जाएं। 1955 के फोर्स एक्ट में भी इस तरह का कोई प्रावधान नहीं है।
1970 में केंद्रीय सुरक्षा बलों में आईपीएस अफसरों के लिए पद आरक्षित नहीं करने की बात की गई थी। तत्कालीन गृह सचिव लल्लन प्रसाद सिंह ने भी यह स्पष्ट किया था कि इन बलों में कैडर अधिकारियों को ही नेतृत्व का मौका दिया जाए। वीपीएस पंवार जो कि सीआरपीएफ से आईजी रैंक पर सेवानिवृत्त हुए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से जीतने के बाद कहा था कि 1970 में यह स्पष्ट हो चुका था कि इन बलों का नेतृत्व कैडर अधिकारी ही करेंगे।
सीआरपीएफ और बीएसएफ ने खुद के चार सौ से अधिक अफसर तैयार किए हैं। डीजी बीएसएफ केएफ रुस्तम ने भी कहा था कि केंद्रीय सुरक्षा बलों में आईपीएस अफसरों के लिए पद आरक्षित न किया जाए क्योंकि इसमें 1955 के फोर्स एक्ट का कोई प्रावधान नहीं है।
1962 में हुई भारत-चीन युद्ध के दौरान इमरजेंसी कमीशंड ऑफिसर भेजे गए थे। इसके बाद से ही यह प्रयास जारी है कि इन बलों में कैडर अधिकारियों को ही मौका दिया जाए। 1968 में सीआरपीएफ के पहले डीजी वीजी कनेत्कर ने भी स्पष्ट रूप से कहा था कि उन्हें आईपीएस की जरूरत नहीं है।
इस सबके बावजूद, अर्धसैनिक बलों में कैडर अधिकारी खुद को नेतृत्व के टॉप पदों तक नहीं पहुंचा पाए हैं जबकि ये अधिकारी जरूरी प्रशिक्षण और योग्यता रखते हैं। अब यह मुद्दा फिर से गरमाया है कि केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में कैडर अधिकारियों को ही अवसर दिए जाने चाहिए ताकि वे खुद को नेतृत्व के लिए तैयार कर सकें।