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स्वामी अवधेशानंद ने की तीन अपील, हिंदू समाज को एकजुट रहने का संदेश

प्रयागराज (उत्तर प्रदेश):- श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा के पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज ने सनातन धर्म के महत्व उसके मूल सिद्धांत और हिंदू समाज की एकजुटता पर अपने विचार रखे। उन्होंने महाकुंभ के दौरान सनातन धर्म की भव्यता और उसकी पुरातन परंपराओं को देखने का आह्वान करते हुए कहा कि यह धर्म केवल मनुष्यों के लिए नहीं बल्कि समस्त सृष्टि के कल्याण का संदेश देता है।

स्वामी अवधेशानंद ने कहा कि सनातन धर्म शांति, सहिष्णुता, समर्पण और परोपकार का मार्ग दिखाता है। इसमें जीव-जंतु, नदियों, पर्वतों और वनस्पतियों को पूज्यनीय मानते हुए उनके संरक्षण की सीख दी जाती है। उन्होंने बताया कि सनातनी व्यक्ति दूसरों का कल्याण करके अपने जीवन को धन्य मानता है।

स्वामी जी ने कहा कि सनातन धर्म को समाप्त करने के लिए इतिहास में कई बार कुचक्र रचे गए। भय और लोभ के माध्यम से मतांतरण कराने का प्रयास किया गया लेकिन सनातन धर्म का वैभव कभी कम नहीं हुआ। उन्होंने हिंदू समाज से जाति और पंथ की संकीर्णताओं से ऊपर उठकर एकजुट रहने की अपील की।

उन्होंने हिंदुओं से तीन मुख्य बातें कही:

एकजुटता बनाए रखें: जाति और पंथ से ऊपर उठकर समाज को संगठित करें।

सनातन धर्म की रक्षा करें: इसके सिद्धांतों को अपनाएं और प्रचार-प्रसार करें।

परंपराओं को सहेजें: सनातन धर्म की परंपराओं और संस्कृति को अगली पीढ़ी तक पहुंचाएं।

जातीय जनगणना को लेकर चल रही बहस पर उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि यह समाज को बांटने का एक नया तरीका है। उन्होंने कहा कि समाज को जातियों में बांटने की बजाय सबको समान मानकर एकता और भाईचारे की भावना को मजबूत करना चाहिए।

महाकुंभ को सनातन धर्म की भव्यता और परंपराओं का दर्पण बताते हुए स्वामी अवधेशानंद ने कहा कि दुनियाभर से लोग यहां आकर सनातन की गौरवशाली संस्कृति का अनुभव करेंगे। महाकुंभ में साधु-संतों के साथ धर्म के मर्म को समझने और उसके महत्व को आत्मसात करने का अवसर मिलेगा।

स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज ने सनातन धर्म के मूल्यों को अपनाने और समाज में एकता बनाए रखने का संदेश दिया। महाकुंभ के माध्यम से विश्व के समक्ष सनातन धर्म की महिमा और गौरव को प्रदर्शित करने की बात करते हुए उन्होंने हर हिंदू से धर्म के प्रति अपने कर्तव्यों को निभाने की अपील की।

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