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महाकुंभ में सनातन धर्म का समर्पण, नागा बनने की प्रक्रिया तेज

प्रयागराज (उत्तर प्रदेश):- महाकुंभ 2025 में नागा संन्यास लेने वालों की संख्या में इस बार रिकॉर्ड वृद्धि देखी जा रही है। अखाड़ों में नागा बनाने की प्रक्रिया तेजी से चल रही है। महाकुंभ के दौरान नागा बनने वाले श्रद्धालु सनातन धर्म के प्रति सर्वस्व न्योछावर करने का संकल्प लेकर अखाड़ों में शामिल हो रहे हैं।

अखाड़ों में सबसे पहले इच्छुक व्यक्तियों का पंजीकरण किया जाता है। इसके लिए पर्ची काटी जाती है और व्यक्तिगत विवरण एकत्र किया जाता है। नागा बनने के लिए आए व्यक्तियों का गुप्त साक्षात्कार लिया जाता है।

उनके पूर्व जीवन की पूरी जांच की जाती है। आवेदकों के दस्तावेजों और पृष्ठभूमि की पुष्टि के बाद ही उन्हें अगले चरण में आगे बढ़ने की अनुमति मिलती है। जूना अखाड़ा, श्रीनिरंजनी अखाड़ा, श्रीमहानिर्वाणी अखाड़ा सहित विभिन्न अखाड़ों में आवेदकों की विस्तृत जांच प्रक्रिया जारी है।

दीक्षा की प्रक्रिया: तीन प्रमुख चरण

मुंडन संस्कार: दीक्षा प्रक्रिया की शुरुआत मुंडन संस्कार से होती है। यह प्रतीकात्मक रूप से पुराने जीवन को त्यागने का संकेत है।

पिंडदान: मुंडन के बाद पिंडदान कराया जाता है जिसमें वे अपने भौतिक अस्तित्व और सांसारिक जीवन का त्याग करते हैं।

नागा संन्यास दीक्षा: अंतिम चरण में पंच परमेश्वर (अखाड़ा के वरिष्ठ संत) द्वारा नागा संन्यास की दीक्षा दी जाती है। इस प्रक्रिया में उन्हें अखाड़े का औपचारिक सदस्य बनाया जाता है।

जूना अखाड़ा में लगभग 2,000 लोग नागा बनने के लिए तैयार हैं। श्रीनिरंजनी अखाड़ा में 1,100 से अधिक लोगों को दीक्षा दी जाएगी। अन्य अखाड़ों जैसे श्रीमहानिर्वाणी, आवाहन, अटल और आनंद अखाड़ा में भी नागा बनने की प्रक्रिया तेजी से चल रही है।हालांकि जांच के दौरान कई आवेदक अयोग्य भी पाए गए हैं।जूना अखाड़ा में 53 और श्रीनिरंजनी अखाड़ा में 22 आवेदकों को अयोग्य घोषित किया गया। ऐसे आवेदकों को नागा बनाने से मना कर दिया गया है।

महाकुंभ में मौनी अमावस्या स्नान से पहले दीक्षा की सभी प्रक्रियाएं पूरी कर ली जाएंगी। नागा संन्यासियों को सनातन धर्म के प्रचार और अखाड़े के कार्यों में लगाया जाएगा। दीक्षा के दिन और समय प्रत्येक अखाड़े में अलग-अलग निर्धारित किए गए हैं।

नागा बनने का निर्णय लेना जीवन का एक बड़ा बदलाव होता है।यह प्रक्रिया न केवल कठोर तप और त्याग की मांग करती है बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक रूप से भी तैयार होना आवश्यक है। महाकुंभ 2025 में इस बार नागा बनने की प्रक्रिया को देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु प्रयागराज (महाकुंभ नगर) में उमड़ रहे हैं।

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