मुंबई(महाराष्ट्र):-भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि भारतीय बैंकों की स्थिति मजबूत बनी हुई है जिसमें ऋण और जमा में स्थायी वृद्धि देखी गई है। साथ ही उनके ग्रॉस नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) अनुपात में गिरावट आई है जो कि 13 साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है। आरबीआई की ‘ट्रेंड एंड प्रोग्रेस ऑफ बैंकिंग’ रिपोर्ट में बताया गया है कि बैंकों के एनपीए अनुपात में गिरावट आई है जो कि सितंबर 2024 के अंत में 2.5% पर पहुंच गया है जो कि मार्च 2024 के अंत में 2.7% था। इस गिरावट के पीछे कई कारक हैं जिनमें बैंकों द्वारा खराब ऋणों को बेचना या लिखना शामिल है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि बैंकों के शुद्ध एनपीए अनुपात में भी गिरावट आई है जो कि सितंबर 2024 के अंत में 0.57% पर पहुंच गया है जो कि मार्च 2024 के अंत में 0.62% था। यह गिरावट बैंकों की मजबूत ऋण-हानि बफर्स के कारण हुई है। आरबीआई की रिपोर्ट में बताया गया है कि बैंकों की पूंजी और तरलता बफर्स भी मजबूत बनी हुई हैं जो कि नियामक आवश्यकताओं से अधिक हैं। साथ ही उनकी लाभप्रदता में भी सुधार हुआ है जो कि लगातार छठे वर्ष में हुआ है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि बैंकों को आगे बढ़ने के लिए अपने जोखिम प्रबंधन और आईटी प्रशासन मानकों को मजबूत करना होगा और धोखाधड़ी गतिविधियों की जांच पर ध्यान केंद्रित करना होगा। इस प्रकार आरबीआई की रिपोर्ट में बताया गया है कि भारतीय बैंकों की स्थिति मजबूत बनी हुई है जिसमें ऋण और जमा में स्थायी वृद्धि देखी गई है। साथ ही उनके एनपीए अनुपात में गिरावट आई है जो कि 13 साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है।