लखनऊ (उत्तर प्रदेश):- उत्तर प्रदेश (यूपी) सरकार ने राज्य के 42 जिलों में बिजली वितरण सेवाओं को निजी कंपनियों के हवाले करने का निर्णय लिया है। सरकार के इस कदम से प्रदेश की बिजली आपूर्ति व्यवस्था में बड़े बदलाव की संभावना जताई जा रही है। यह फैसला प्रदेश के दक्षिणांचल और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम क्षेत्रों को प्रभावित करेगा जहां निजी कंपनियों के साथ साझेदारी में वितरण सेवाओं को बेहतर बनाने की उम्मीद की जा रही है।
यूपी सरकार के इस निर्णय के तहत इन क्षेत्रों के सरकारी कर्मचारियों को एक साल तक निजी कंपनियों में ही काम करने की जिम्मेदारी दी जाएगी। हालांकि कर्मचारियों को इन कंपनियों में कार्य करते समय कुछ बदलावों का सामना करना पड़ सकता है। अगले साल से इन कर्मचारियों का एक तिहाई हिस्सा दूसरे डिस्कॉम (बिजली वितरण कंपनियों) में ट्रांसफर होगा। बाकी कर्मचारियों को उसी निजी कंपनी के तहत काम करना होगा जो उन्हें नियुक्त करेगी।
इस फैसले के तहत, आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए भी नए दिशा-निर्देश तय किए गए हैं। उनका रोजगार केवल तब तक रहेगा जब तक उनका अनुबंध चलता रहेगा। अनुबंध खत्म होने के बाद उनकी नौकरी की स्थिति पूरी तरह से निजी कंपनी की इच्छा पर निर्भर करेगी। निजी कंपनियां ही यह तय करेंगी कि कौन से आउटसोर्स कर्मियों को काम पर रखा जाएगा और कौन बाहर जाएगा।
नए नियमों के तहत निजी कंपनियों को कर्मचारियों की नियुक्ति छंटनी और उनके कार्यकाल से संबंधित फैसले लेने की पूरी स्वतंत्रता दी गई है। इसका मतलब है कि कर्मचारियों के लिए यह स्थिति चुनौतीपूर्ण हो सकती है क्योंकि उनका भविष्य अब निजी कंपनियों के निर्णयों पर निर्भर करेगा। यह फैसला उत्तर प्रदेश की विद्युत वितरण व्यवस्था में महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत है और इससे राज्य के बिजली क्षेत्र में सुधार की उम्मीद की जा रही है।