नई दिल्ली:- सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया है। याचिका में मांग की गई है कि ऑनलाइन मुफ्त पॉर्नोग्राफी पर प्रतिबंध लगाया जाए और बलात्कारियों को नपुंसक बनाने का कानून लागू किया जाए।
सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने यह कहा कि इस याचिका में उठाए गए मुद्दे बिल्कुल नए हैं और इसमें गंभीर पहलू हैं। अदालत ने केंद्र और राज्य सरकारों को इस याचिका पर जवाब देने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है।
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महालक्ष्मी ने अदालत में प्रस्तुत किया कि इंटरनेट पर उपलब्ध मुफ्त पॉर्नोग्राफी बच्चों और युवाओं को मानसिक रूप से प्रभावित कर रही है जिससे समाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। इसके साथ ही उन्होंने बलात्कार के अपराधियों के लिए नपुंसकता की सजा देने की भी मांग की ताकि अपराधों पर कड़ी रोक लगाई जा सके।
इस याचिका को लेकर अदालत ने केंद्र और राज्य सरकारों से इस पर जवाब मांगा और भविष्य में इस मुद्दे पर गहन विचार-विमर्श करने की बात कही।