मुंबई (महाराष्ट्र):- महाराष्ट्र की राजनीति में ठाकरे परिवार का नाम हमेशा से सुर्खियों में रहा है। हाल ही में उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे को एक शादी समारोह में एक साथ देखने के बाद राजनीतिक गलियारों में अटकलों का दौर शुरू हो गया है कि क्या ठाकरे परिवार एक बार फिर साथ आ सकता है। रविवार को महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने शिवसेना (उद्धव गुट) प्रमुख उद्धव ठाकरे की पत्नी रश्मि ठाकरे के भतीजे शौनक पाटनकर के शादी समारोह में शिरकत की। यह कार्यक्रम मुंबई के बांद्रा पश्चिम स्थित ताज लैंड्स एंड होटल में आयोजित किया गया था।
राज ठाकरे जैसे ही समारोह में पहुंचे रश्मि ठाकरे ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। कार्यक्रम के दौरान राज ठाकरे ने रश्मि ठाकरे और उनकी मां से भी मुलाकात की। हालांकि उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे राज से नहीं मिले क्योंकि वे लंच के लिए जा चुके थे। ठाकरे परिवार के दो गुटों के बीच मतभेद लंबे समय से जगजाहिर हैं। यहां तक कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में दोनों परिवारों ने एक-दूसरे का खुलकर विरोध किया था। उद्धव गुट ने माहिम से राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे के खिलाफ अपना उम्मीदवार खड़ा किया था जिसके बाद मनसे ने शिवसेना (उद्धव गुट) की तीखी आलोचना की थी।
इसके बावजूद इस पारिवारिक समारोह में राज ठाकरे की मौजूदगी और रश्मि ठाकरे के स्वागत ने इस बात के संकेत दिए कि दोनों गुटों के बीच मतभेद कम हो सकते हैं। शौनक पाटनकर ने नीता और सुबोध राउत की बेटी ईशाना राउत से शादी की। पाटनकर परिवार पहले डोंबिवली में रहता था लेकिन अब बांद्रा ईस्ट में शिफ्ट हो गया है जो उद्धव ठाकरे के निवास मातोश्री के पास स्थित है।
मनसे और शिवसेना (यूबीटी) के भीतर यह चर्चा जोरों पर है कि दोनों गुट आगामी बीएमसी और निकाय चुनावों में गठबंधन कर सकते हैं। यह सुलह मराठी वोटों को एकजुट करने की कोशिश मानी जा रही है जो आगामी चुनावों में निर्णायक भूमिका निभा सकती है।
खराब प्रदर्शन के बाद गठबंधन पर चर्चा
हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में शिवसेना (यूबीटी) और मनसे का प्रदर्शन बेहद खराब रहा।
• शिवसेना (यूबीटी): केवल 20 सीटें।
• मनसे: एक भी सीट नहीं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि दोनों पार्टियों का गठबंधन आगामी चुनावों में उनके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
राज ठाकरे की शादी समारोह में मौजूदगी और उद्धव गुट के साथ उनकी गर्मजोशी ने राजनीतिक सुलह की अटकलों को बल दिया है। हालांकि यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या ठाकरे परिवार अपने पुराने मतभेदों को भुलाकर महाराष्ट्र की राजनीति में एक नई शुरुआत कर सकता है।