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अतुल सुभाष की आत्महत्या केस: बेंगलुरु में एक इंजीनियर की आखिरी ख्वाहिश और न्याय की तलाश

बेंगलुरु (कर्नाटका):- बेंगलुरु में आत्महत्या करने वाले एआई इंजीनियर अतुल सुभाष की कहानी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। कहते हैं मरते हुए इंसान की आखिरी ख्वाहिश जरूर पूरी करनी चाहिए, लेकिन क्या होता जब वह ख्वाहिश पूरी न हो पाए? 10 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाईकोर्ट का एक फैसला पलटते हुए कहा था कि खुदकुशी के लिए उकसाने के मामलों में आरोपी को दोषी तब तक नहीं ठहराया जा सकता जब तक कि इसकी पुष्टि न हो कि आरोपी की कार्रवाई का सीधा असर आत्महत्या पर पड़ा।

अतुल सुभाष ने अपनी आत्महत्या से पहले अपनी ख्वाहिश जाहिर की थी कि उसकी अस्थियाँ उत्तर प्रदेश के उनके पैतृक गांव में विसर्जित की जाएं। यह ख्वाहिश अधूरी रह गई है क्योंकि अब यह मामला न्यायिक प्रक्रिया में उलझ चुका है। परिवार को उम्मीद है कि कानून इस मामले में जल्द से जल्द कार्रवाई करेगा ताकि अतुल की आखिरी ख्वाहिश पूरी हो सके।

अतुल सुभाष की आत्महत्या ने न केवल उनके परिवार बल्कि बेंगलुरु के एआई इंजीनियर समुदाय को भी गहरे सदमे में डाल दिया है। इस मामले की जांच जारी है और उम्मीद जताई जा रही है कि इसमें न्याय मिलेगा और आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला भी सही तरीके से सामने आएगा।

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