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मलेरिया के खिलाफ उम्मीद की नई किरण, नई वैक्सीन का परीक्षण

नई दिल्ली:-मलेरिया से बचाव के लिए एक नई वैक्सीन को लेकर वैज्ञानिकों ने अहम सफलता हासिल की है। अफ्रीकी बच्चों पर किए गए इस वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल में इसकी प्रभावकारिता और सुरक्षा के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। आरएच 5.1/मैट्रिक्स-एम नामक यह वैक्सीन मलेरिया के ब्लड-स्टेज में मौजूद पैरासाइट को निशाना बनाती है। यह वैक्सीन उन बच्चों के लिए एक नई उम्मीद बन सकती है जिनके लिए मलेरिया एक गंभीर और प्रचलित बीमारी है।

यह अध्ययन ब्रिटेन के आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और बुर्किना फासो के इंस्टीट्यूट डी रिसर्च एन साइंसेज डे ला सैंटे के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया जिसमें 361 अफ्रीकी बच्चों को शामिल किया गया। इन बच्चों को या तो वैक्सीन की तीन खुराकें दी गईं या फिर नियंत्रण वैक्सीन दी गई। परिणाम बताते हैं कि वैक्सीन की प्रभावशीलता 55 प्रतिशत तक थी जो दूसरी मासिक प्रणाली में 40 प्रतिशत तक रही।

यह वैक्सीन ब्लड-स्टेज मलेरिया पैरासाइट को निशाना बनाती है जब मलेरिया के लक्षण जैसे बुखार, सिरदर्द और ठंड लगने के बाद शरीर में संक्रमण फैलने लगता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह वैक्सीन बच्चों में मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न करती है, जो मलेरिया के खिलाफ सुरक्षा प्रदान कर सकती है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बच्चों के लिए दो मलेरिया टीकों- आरटीएस,एस/एएस01 और आर21/मैट्रिक्स-एम की सिफारिश की है जो लिवर में मौजूद मलेरिया पैरासाइट को लक्षित करते हैं। हालांकि यह नई वैक्सीन ब्लड-स्टेज में मलेरिया पैरासाइट के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करती है जिससे इसके प्रभावशीलता में वृद्धि हो सकती है।

डब्ल्यूएचओ ने मलेरिया के खिलाफ संघर्ष में दक्षिणपूर्व एशिया क्षेत्र की सराहना की है और सदस्य देशों से कमजोर आबादी पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया है ताकि मलेरिया से बचाव पहचान और इलाज में सुधार किया जा सके।

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