दक्षिण कोरिया :- दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ने मंगलवार को देश में आपातकालीन मार्शल लॉ लागू करने की घोषणा कर राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। इस फैसले का कारण बताते हुए उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वह संसद को नियंत्रित कर रहा है, उत्तर कोरिया के प्रति सहानुभूति रखता है और सरकार को राज्य विरोधी गतिविधियों से कमजोर करने की कोशिश कर रहा है।
मार्शल लॉ: आखिरी विकल्प
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा, “देश को अस्थिरता से बचाने और राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यह कठोर कदम उठाना आवश्यक हो गया था। अन्य सभी विकल्प समाप्त हो चुके थे।” उन्होंने विपक्ष पर लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में बाधा डालने और उत्तर कोरिया के साथ सहयोग की संभावना बढ़ाने का आरोप लगाया।
राजनीतिक तनाव चरम पर
दक्षिण कोरिया में लंबे समय से राजनीतिक माहौल गर्म था, लेकिन हाल के हफ्तों में सरकार और विपक्ष के बीच विवाद चरम पर पहुंच गया। राष्ट्रपति का दावा है कि विपक्ष का व्यवहार राष्ट्रीय हितों के खिलाफ है और यह देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन गया है।
मार्शल लॉ के तहत लागू प्रतिबंध
मार्शल लॉ लागू होने के बाद देश में कई कड़े प्रतिबंध लागू कर दिए गए हैं:
1. सार्वजनिक सभाओं और विरोध प्रदर्शनों पर रोक।
2. मीडिया पर सख्त सेंसरशिप।
3. सेना को कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए अतिरिक्त शक्तियां।
4. संदिग्ध गतिविधियों में शामिल व्यक्तियों की गिरफ्तारी का अधिकार।
विपक्ष ने किया विरोध
विपक्ष ने राष्ट्रपति के इस फैसले की कड़ी आलोचना की है। उनका कहना है कि यह लोकतंत्र पर हमला है और सरकार अपनी असफलताओं को छिपाने के लिए आपातकालीन शक्तियों का दुरुपयोग कर रही है। विपक्षी नेताओं ने जनता से अपील की है कि वे शांतिपूर्ण ढंग से लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए खड़े हों।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजरें
दक्षिण कोरिया में मार्शल लॉ की घोषणा से अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी चिंतित है। कई देश और संगठन इस पर अपनी प्रतिक्रिया देने की तैयारी में हैं। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह कदम देश के भीतर शांति और स्थिरता लाने में सफल होता है या राजनीतिक अशांति को और बढ़ावा देता है।
राष्ट्रपति के इस फैसले ने दक्षिण कोरिया के लोकतांत्रिक भविष्य पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आने वाले दिन इस बात का फैसला करेंगे कि यह कदम देश के लिए फायदेमंद साबित होगा या और अधिक संकट पैदा करेगा।