Dastak Hindustan

अच्युतानंद मिश्र के जन्मदिन पर पुस्तक ‘अच्युतानंद मिश्र समावेशी शब्द साधक’ का लोकार्पण

नई दिल्ली:- वरिष्ठ पत्रकार, संपादक और लेखक अच्युतानंद मिश्र के जन्मदिन के अवसर पर इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र (आईजीएनसीए) में उनकी कृतित्व और नेतृत्व पर आधारित पुस्तक “अच्युतानंद मिश्रः समावेशी शब्द साधक” का लोकार्पण सोमवार को हुआ। इस कार्यक्रम में अच्युतानंद मिश्र की गरिमामय उपस्थिति रही और पुस्तक के संपादक डॉ. मनीषचंद्र शुक्ल और प्रकाशक जितेंद्र पात्रो भी उपस्थित थे।

यह पुस्तक प्रलेक प्रकाशन मुंबई द्वारा प्रकाशित की गई है और इसके संपादक डॉ. मनीषचंद्र शुक्ल हैं। लोकार्पण के अवसर पर कई वरिष्ठ पत्रकारों और साहित्यकारों ने अच्युतानंद मिश्र के साथ अपने संस्मरण साझा किए। कार्यक्रम में उनके योगदान विचार और व्यक्तित्व पर चर्चा की गई। पत्रकारों ने बताया कि अच्युतानंद मिश्र न केवल एक उत्कृष्ट लेखक और संपादक थे बल्कि वे एक ऐसे मार्गदर्शक और परिवार के सदस्य की तरह थे जो हर किसी की चिंता करते थे और सभी के दुख-सुख में साझीदार रहते थे।

कार्यक्रम में प्रो. रामाश्रय रत्नेश ने अच्युतानंद मिश्र की निर्णय लेने की क्षमता और उनके चुंबकीय व्यक्तित्व की सराहना की। वहीं अच्युतानंद मिश्र ने सभी वक्ताओं का आभार प्रकट करते हुए कहा कि वे सिर्फ अपने समुदाय का हिस्सा हैं और किसी अनोखे काम का दावा नहीं करते। उन्होंने पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं पर विचार साझा किए और बताया कि कैसे पत्रकारों को विभिन्न संघर्षों का सामना करना पड़ा है।

इस अवसर पर रामबहादुर राय ने कहा कि पुस्तक में अच्युतानंद मिश्र का व्यक्तित्व और कृतित्व पूरी तरह से उजागर हुआ है और उनके योगदान को समझने का यह एक महत्वपूर्ण अवसर है। उन्होंने यह भी कहा कि अच्युतानंद मिश्र का योगदान सिर्फ पत्रकारिता तक सीमित नहीं था बल्कि उन्होंने जन आंदोलनों में भी सक्रिय रूप से भाग लिया था।

कार्यक्रम में मध्य प्रदेश राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के मंत्री कैलाश चंद्र पंत ने भी अच्युतानंद मिश्र के साथ अपने संबंधों को याद करते हुए कहा कि उनका व्यक्तित्व समावेशी शब्द साधक के रूप में प्रतिष्ठित है और शब्द की साधना में वे ब्रह्म की साधना के समान हैं। आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने भी अच्युतानंद मिश्र से जुड़े कुछ दिलचस्प संस्मरण सुनाए जिसमें उनके कुर्ते से जुड़ा एक प्रसंग भी शामिल था। इस कार्यक्रम ने अच्युतानंद मिश्र के योगदान और उनकी विचारधारा को न केवल पत्रकारिता जगत में बल्कि समाज में भी महत्वपूर्ण स्थान दिलाया।

शेयर करे

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *