चटगांव (बांग्लादेश):- बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ बढ़ती घटनाओं का ताजा मामला चटगांव में देखने को मिला, जहां हिंदू संन्यासी चिन्मय दास को कानूनी मदद से वंचित कर दिया गया। इस्लामवादियों की धमकियों के चलते स्थानीय हिंदू वकील उनका केस लड़ने के लिए आगे नहीं आ सके।
चटगांव बार एसोसिएशन में मुस्लिम वकीलों द्वारा हिंदू वकीलों को डराने और धमकाने की शिकायतें सामने आई हैं। दास की कानूनी टीम के सूत्रों ने जानकारी दी कि यह डर इतना गहरा हो गया है कि किसी भी वकील ने उनकी ओर से कोर्ट में पेश होने की हिम्मत नहीं दिखाई।
यह घटना तब शुरू हुई जब एक अन्य हिंदू व्यक्ति रामेन रॉय पर कथित तौर पर हमला हुआ। इसके बाद वकीलों को धमकियां दी गईं जिससे चटगांव कोर्ट में चिन्मय दास का प्रतिनिधित्व करना असंभव हो गया। दास को अब अगले एक महीने तक जेल में रहना होगा क्योंकि अदालत में उनका बचाव करने वाला कोई नहीं है।
बांग्लादेश में हिंदू समुदाय लगातार धार्मिक असहिष्णुता का सामना कर रहा है। कानूनी सहायता तक पहुंच में बाधाएं अल्पसंख्यकों पर हमले और सामाजिक भेदभाव इस समुदाय की स्थिति को और गंभीर बना रहे हैं।
यह घटना बांग्लादेश में धार्मिक असहिष्णुता और कानूनी व्यवस्था की चुनौतियों को उजागर करती है। चिन्मय दास का मामला केवल एक उदाहरण है लेकिन यह वैश्विक समुदाय का ध्यान इस ओर आकर्षित करता है कि किस प्रकार धार्मिक अल्पसंख्यक न्याय के अधिकार से वंचित हो रहे हैं। आप इस पर और जानकारी चाहते हैं तो संबंधित रिपोर्ट्स को विस्तार से पढ़ सकते हैं।