नई दिल्ली:- कैंसर को साइलेंट किलर कहा जाता है क्योंकि यह अक्सर धीरे-धीरे और बिना स्पष्ट लक्षणों के बढ़ता है। हाल ही में विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यह बीमारी शरीर के विभिन्न हिस्सों में ट्यूमर बना सकती है विशेषकर जो अंग आसानी से जांच के दायरे में नहीं आते। इस प्रकार के कैंसर के लक्षणों को नज़रअंदाज़ करना खतरनाक हो सकता है और समय पर उपचार ना मिलने से स्थिति और गंभीर हो सकती है।
आंत में ट्यूमर की समस्या: सबसे आम लेकिन खतरनाक
कैंसर के बढ़ते मामलों में आंतों का कैंसर खासतौर पर चिंता का विषय बना हुआ है। विशेषज्ञों के अनुसार आंत में होने वाला ट्यूमर शरीर में छिपकर बढ़ता है और शुरुआत में इसके लक्षण स्पष्ट नहीं होते। यह अक्सर पेट में हल्का दर्द या गैस जैसी समस्याओं के रूप में दिखाई देता है जिससे लोग इसे आम समस्या समझकर इग्नोर कर देते हैं। लेकिन अगर समय रहते इसकी पहचान नहीं की जाती तो यह खतरनाक रूप धारण कर सकता है।
लक्षणों पर ध्यान दें: कब करें डॉक्टर से संपर्क?
आंतों के कैंसर के प्रमुख लक्षणों में पेट में लगातार दर्द, मल में खून आना, वजन में अचानक कमी और थकान महसूस होना शामिल हैं। इसके अलावा अगर किसी व्यक्ति को लंबे समय तक कब्ज की समस्या हो या फिर मिचली और उलटी की शिकायत हो तो यह भी गंभीर संकेत हो सकते हैं। इन लक्षणों के दिखाई देने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना बेहद जरूरी है ताकि जांच से बीमारी का पता चल सके और जल्द उपचार शुरू किया जा सके।
समय पर उपचार और जांच से बच सकती है जान
विशेषज्ञों का मानना है कि आंत के कैंसर की पहचान अगर शुरुआती चरण में हो जाए तो इसका इलाज पूरी तरह संभव है। मेडिकल जांचों में कोलोनोस्कोपी और बायोप्सी जैसी प्रक्रियाएं इस बीमारी का पता लगाने में मदद करती हैं। इसके अलावा, डाइट में सुधार, शारीरिक गतिविधियों को बढ़ाना और नियमित स्क्रीनिंग करवाना इस बीमारी से बचाव में सहायक हो सकता है।
उपचार के विकल्प: क्या करें?
आंत के कैंसर का इलाज सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडियेशन थेरेपी के माध्यम से किया जाता है। शुरुआती चरण में इलाज के बाद मरीज पूरी तरह से ठीक हो सकता है। इसके साथ ही जीवनशैली में बदलाव और संतुलित आहार का सेवन भी बीमारी के प्रसार को रोकने में सहायक हो सकता है।