अमृतसर(पंजाब):- अकाली नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने स्वर्ण मंदिर में बर्तन साफ किए। अकाल तख्त साहिब द्वारा उन्हें धार्मिक सजा सुनाई गई है। सजा में स्वर्ण मंदिर में ‘सेवादार‘ के रूप में काम करने और बर्तन और जूते साफ करने का निर्देश शामिल है। अकाल तख्त ने 2007 से 2017 तक पंजाब में शिरोमणि अकाली दल और उसकी सरकार द्वारा की गई ‘गलतियों’ का हवाला देते हुए उन्हें यह सजा सुनाई। बिक्रम सिंह मजीठिया ने स्वर्ण मंदिर में बर्तन साफ करते हुए अपनी सजा का पालन किया। उन्होंने कहा कि वह अकाल तख्त साहिब के निर्देशों का पालन करने के लिए तैयार हैं। मजीठिया ने कहा कि वह अपनी गलतियों के लिए माफी मांगते हैं और भविष्य में ऐसी गलतियों को नहीं दोहराएंगे।
अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि मजीठिया को सजा सुनाई गई है क्योंकि उन्होंने 2007 से 2017 तक पंजाब में शिरोमणि अकाली दल और उसकी सरकार द्वारा की गई गलतियों में भूमिका निभाई थी। ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि मजीठिया को अपनी गलतियों के लिए माफी मांगनी चाहिए और भविष्य में ऐसी गलतियों को नहीं दोहराना चाहिए। इस बीच शिरोमणि अकाली दल ने मजीठिया की सजा का समर्थन किया है। पार्टी के प्रवक्ता दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि मजीठिया को अपनी गलतियों के लिए माफी मांगनी चाहिए और भविष्य में ऐसी गलतियों को नहीं दोहराना चाहिए। चीमा ने कहा कि अकाल तख्त साहिब के निर्देशों का पालन करना पार्टी के लिए महत्वपूर्ण है।
इस घटना के बाद पंजाब की राजनीति में एक नई बहस छिड़ गई है। विपक्षी दलों ने मजीठिया की सजा का समर्थन किया है जबकि शिरोमणि अकाली दल ने इसे एक आंतरिक मामला बताया है। इस बहस के बीच अकाल तख्त साहिब के निर्देशों का पालन करना पार्टी के लिए महत्वपूर्ण हो गया है। इस मामले में मजीठिया की सजा का समर्थन करने वाले लोगों का कहना है कि उन्होंने 2007 से 2017 तक पंजाब में शिरोमणि अकाली दल और उसकी सरकार द्वारा की गई गलतियों में भूमिका निभाई थी। उन्होंने कहा कि मजीठिया को अपनी गलतियों के लिए माफी मांगनी चाहिए और भविष्य में ऐसी गलतियों को नहीं दोहराना चाहिए।