नई दिल्ली:- हाल के समय में कई दवाइयों के क्वॉलिटी टेस्ट में फेल होने की घटनाएं सामने आई हैं जो लोगों की सेहत के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकती हैं। जब दवाइयां क्वालिटी टेस्ट में फेल होती हैं तो इसका मतलब है कि उनमें निर्धारित मानकों का पालन नहीं किया गया है जिससे उनका प्रभावी इलाज प्रदान करने का भरोसा कम हो जाता है। इसके अलावा ऐसी दवाइयां शरीर में हानिकारक प्रतिक्रियाएं उत्पन्न कर सकती हैं जो गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती हैं।
संबंधित दवाइयों के खतरे: क्वॉलिटी टेस्ट में फेल दवाइयां न केवल बुरी तरह से प्रभावित होती हैं बल्कि उनमें सक्रिय घटक की मात्रा भी गलत हो सकती है। इससे बीमारी का इलाज न हो पाने या दुष्प्रभावों का सामना करना पड़ सकता है। उदाहरण के लिए असमान या कम गुणवत्ता वाली एंटीबायोटिक्स से संक्रमण की समस्या बढ़ सकती है या फिर कुछ अन्य दवाइयों से शरीर में एलर्जी या बुरी प्रतिक्रिया हो सकती है।
कैसे पहचानें सही दवा?: सही दवा की पहचान के लिए सबसे पहला कदम है दवा की पैकिंग और लेबल की जांच करना। प्रमाणित फार्मा कंपनियों की दवाइयों को प्राथमिकता दें और ध्यान दें कि पैकिंग में कंपनी का नाम लाइसेंस नंबर और उत्पादन की तारीख सही तरीके से दिया गया हो। इसके अलावा दवा की शेल्फ लाइफ निर्माता का नाम और उत्पादन लाइसेंस की जानकारी भी चेक करें। यदि किसी दवा में कोई असमानता या नुकसान दिखे तो उसे खरीदने से बचें।
नियंत्रण और कदम: सरकार और दवा नियामक एजेंसियां इस दिशा में कदम उठा रही हैं। उन्होंने दवाइयों के मानकों को सख्त करने के साथ-साथ पैकिंग और लेबलिंग पर भी ध्यान देने की सलाह दी है। चिकित्सक और फार्मासिस्ट भी सही दवाइयों के चयन में मदद कर सकते हैं। ऐसे मामलों में उपभोक्ताओं को जागरूक रहना जरूरी है, ताकि उनके स्वास्थ्य से समझौता न हो।
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