नई दिल्ली:- भारत की आर्थिक रफ्तार वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में सुस्त पड़ी जिससे जीडीपी ग्रोथ 5.4 फीसदी रही। एक साल पहले की समान अवधि में यह आंकड़ा 8.1 फीसदी था। वहीं पहले तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 6.7 फीसदी रही थी। इस गिरावट का मुख्य कारण कमजोर खपत और प्रमुख क्षेत्रों में प्रतिकूल मौसम, जैसे बाढ़, का असर बताया जा रहा है।
दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों के अनुमान से भी कम रही। अधिकांश अर्थशास्त्रियों ने जीडीपी ग्रोथ 6 से 6.5 फीसदी के बीच रहने का अनुमान जताया था जबकि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 7 फीसदी की उम्मीद की थी। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के सर्वे में भी 6.5 फीसदी की ग्रोथ का अनुमान था। लेकिन वास्तविक ग्रोथ इन अनुमानों से काफी कम रही।
रियल ग्रॉस वैल्यू एडेड (GVA) में भी गिरावट आई है। वित्त वर्ष 2024-25 की सितंबर तिमाही में GVA 5.6 फीसदी बढ़ी जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 7.7 फीसदी थी। इसी तरह नॉमिनल GVA ग्रोथ भी 9.3 फीसदी से घटकर 8.1 फीसदी रह गई।
क्यों सुस्त पड़ी जीडीपी ग्रोथ?
आर्थिक जानकारों के मुताबिक बढ़ती महंगाई और ऊंची ब्याज दरें मुख्य कारण हैं जिससे खपत में कमी आई है। इसके अलावा वेतन में कोई उल्लेखनीय वृद्धि नहीं हुई जिससे भी उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति पर असर पड़ा है। कई केंद्रीय मंत्रियों ने आरबीआई से अपील की है कि वह ब्याज दरों में कटौती करे ताकि कर्ज सस्ता हो सके और आर्थिक गतिविधियां बढ़ सकें।
कॉरपोरेट सेक्टर के कमजोर परिणाम
सितंबर तिमाही के कॉरपोरेट परिणाम भी निराशाजनक रहे। प्रमुख कंपनियों का प्रदर्शन पिछले चार वर्षों में सबसे खराब था जिससे शेयर बाजार में गिरावट आई। कंपनियों के कमजोर नतीजे व्यापार विस्तार योजनाओं को लेकर चिंता पैदा कर रहे हैं जो अर्थव्यवस्था के लिए खतरे के संकेत माने जा रहे हैं।
क्या जीडीपी ग्रोथ में सुधार होगा?
आर्थिक जानकारों के मुताबिक मौजूदा चुनौतियों के बावजूद दूसरी छमाही में जीडीपी ग्रोथ में सुधार होने की उम्मीद है। भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 7.2 फीसदी जीडीपी ग्रोथ का अनुमान बरकरार रखा है जो पिछले वित्त वर्ष के 8.2 फीसदी से कम है। अगर आरबीआई ब्याज दरों में कटौती करता है तो इसका सकारात्मक असर खपत और जीडीपी ग्रोथ पर पड़ेगा।