लखनऊ (उत्तर प्रदेश):- उत्तर प्रदेश के 9 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के परिणाम भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के लिए एक बड़ी राहत साबित हुए हैं। इन चुनावों ने पार्टी को लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद आराम और उम्मीद की नई किरण दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मेहनत और रणनीतिक नेतृत्व ने भाजपा को यह सफलता दिलाई है जो उनके लिए किसी दवा से कम नहीं है।
लोकसभा चुनाव में हार के बाद सीएम योगी ने संगठन की कार्यशैली में सुधार की जरूरत महसूस की और इस बार उपचुनावों में खुद ही जिम्मेदारी संभाली। सीएम योगी ने न केवल उम्मीदवारों का चयन खुद किया बल्कि पार्टी की कार्यशैली और प्रचार रणनीतियों में भी बदलाव किया। इस बार बीजेपी के अंदर से यह खबर आई थी कि लोकसभा चुनाव में सीएम योगी ने उम्मीदवारों के नाम की लिस्ट भेजी थी लेकिन उस पर कोई गौर नहीं किया गया जिसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ा था। इस बार योगी ने खुद उम्मीदवारों का चयन किया और किसी भी प्रकार की गलती को दोहराने से बचने का प्रयास किया।
सीएम योगी ने उपचुनाव में जीत के लिए कई नए तरीके अपनाए। उन्होंने 30 लोगों की एक टीम बनाई जिसमें कई मंत्री और विधायक शामिल थे। इस टीम को उन्होंने हर विधानसभा क्षेत्र में भेजा ताकि पार्टी के खिलाफ विपक्ष द्वारा फैलाए गए भ्रांतियों का मुकाबला किया जा सके। इसके अलावा, सीएम योगी ने एक प्रभावी नारा भी दिया “कटेंगे तो बटेंगे” जिसका असर खासकर हिंदू वोटों के एकीकरण में देखा गया। इस नारे का प्रभाव कुंदरकी सीट पर भी दिखाई दिया जहां मुस्लिम और राजपूत समुदाय का महत्वपूर्ण योगदान था।
इस बार भाजपा के लिए कुंदरकी सीट पर मिली जीत ने अयोध्या में हुई हार के जख्म को भरने का काम किया। मुख्यमंत्री योगी की रणनीतियों और पार्टी कार्यकर्ताओं की मेहनत ने भाजपा को उपचुनावों में जीत दिलाई जो कि पार्टी की नीतियों और कार्यशैली की मजबूती को दर्शाता है। इस जीत के बाद यह साफ हो गया है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नेतृत्व भाजपा के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित हो रहा है। उनकी मेहनत और प्रभावी रणनीतियों ने भाजपा को एक नई दिशा दी है जिससे पार्टी की स्थिति उत्तर प्रदेश में मजबूत हुई है।