अरनिया (उत्तर प्रदेश):- अरनिया थाने के दरोगा की छुट्टी प्रक्रिया में देरी ने उनके परिवार के वैवाहिक कार्यक्रमों को बुरी तरह प्रभावित कर दिया। 12 नवंबर को सगाई और 15 नवंबर को शादी के लिए दरोगा जी ने छुट्टी का आवेदन दिया था। लेकिन प्रशासनिक प्रक्रियाओं में देरी के कारण 17 नवंबर को छुट्टी स्वीकृत हुई जब दोनों कार्यक्रम समाप्त हो चुके थे। दरोगा ने अपनी छुट्टी का आवेदन थाना प्रभारी को सौंपा था, जिसे 11 नवंबर को सबमिट कर दिया गया। इसके बाद यह आवेदन सीओ के पास 15 नवंबर को पहुंचा। लेकिन सीओ द्वारा इसे 17 नवंबर को स्वीकृति दी गई। यह देरी दर्शाती है कि आवेदन प्रक्रिया में समन्वय की कमी थी।
थाना प्रभारी और सीओ के बीच चार दिन तक फंसे आवेदन ने एक महत्वपूर्ण पारिवारिक अवसर को बिगाड़ दिया। दरोगा और उनके परिवार ने वैवाहिक कार्यक्रमों के लिए महीनों पहले तैयारी की थी। हालांकि छुट्टी मिलने में हुई देरी ने पूरे परिवार की भावनाओं को ठेस पहुंचाई। दरोगा के परिवार ने इस मामले पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि यह घटना प्रशासनिक लापरवाही का स्पष्ट उदाहरण है। उन्होंने सवाल उठाया कि यदि एक अधिकारी को छुट्टी स्वीकृत करवाने में इतनी दिक्कत होती है, तो आम जनता को किस हद तक परेशानियों का सामना करना पड़ता होगा।
छुट्टी आवेदन प्रक्रिया में देरी की मुख्य वजह पुलिस प्रशासन में स्पष्ट दिशा-निर्देश और समन्वय की कमी है। यह घटना बताती है कि विभागीय अधिकारियों के बीच संवाद और कामकाज में सुधार की जरूरत है।
क्या हो सकते हैं समाधान?
डिजिटल प्रक्रिया अपनाना: छुट्टी आवेदन प्रक्रिया को पूरी तरह डिजिटल किया जाए ताकि आवेदन फौरन संबंधित अधिकारी तक पहुंच सके।
समय सीमा तय करना: छुट्टी स्वीकृति के लिए एक समय सीमा निर्धारित की जाए ताकि कर्मचारियों को समय पर राहत मिले।
प्रभावी निगरानी: छुट्टी आवेदनों की स्थिति पर निगरानी रखने के लिए एक प्रणाली विकसित की जाए।
इस घटना ने न केवल एक परिवार के खुशियों भरे पल को प्रभावित किया बल्कि यह प्रशासनिक प्रणाली की खामियों को भी उजागर किया। इस प्रकार की समस्याओं से बचने के लिए पुलिस विभाग को अपनी कार्यप्रणाली में सुधार करना आवश्यक है।