महाराष्ट्र (मुंबई):– एक्टर शेखर सुमन ने अपने जीवन के उस दर्दनाक दौर को साझा किया जब उन्होंने अपने 11 वर्षीय बेटे आयुष को खो दिया था। यह घटना उनके लिए न केवल व्यक्तिगत क्षति थी बल्कि उनके विश्वास को भी हिला देने वाली थी। आयुष को दिल की बीमारी थी और उसे बचाने के लिए शेखर सुमन ने हर संभव प्रयास किया। उन्होंने इलाज के लिए आयुष को लंदन तक ले जाया हर मंदिर-मजार पर दुआ मांगी यहां तक कि बौद्ध धर्म भी अपना लिया। लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद जब उनका बेटा नहीं बच सका तो उनका भगवान पर से भरोसा उठ गया।
शेखर सुमन ने एक इंटरव्यू में बताया बेटे की मौत के बाद मैंने अपने घर से भगवान की सभी मूर्तियां हटा दीं। मैंने मंदिर बंद कर दिया और पूजा-पाठ पूरी तरह छोड़ दी। उन्होंने कहा कि आयुष की मौत ने उन्हें अंदर तक तोड़ दिया था। उनकी जीने की इच्छा खत्म हो गई थी। वह भगवान को इस नुकसान के लिए जिम्मेदार मानने लगे और पूजा-पाठ से दूरी बना ली।
शेखर सुमन ने यह भावुक किस्सा अपनी हालिया वेब सीरीज ‘हीरामंडी’ के प्रमोशन के दौरान साझा किया। इस दर्दनाक घटना का जिक्र करते हुए उनकी आंखें भी भर आईं। आयुष को जन्मजात दिल की बीमारी थी। शेखर सुमन ने बताया कि वह अपने बेटे को बचाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार थे। उन्होंने हर डॉक्टर और इलाज का सहारा लिया लेकिन आखिरकार वह उसे बचा नहीं सके।
शेखर सुमन की यह कहानी माता-पिता के लिए एक बड़ा सबक है कि बच्चे के स्वास्थ्य का ख्याल कितना जरूरी है। साथ ही यह बताती है कि जीवन में आने वाले गहरे दुःख इंसान को किस हद तक प्रभावित कर सकते हैं।