समस्तीपुर (बिहार):- बिहार में पिछले कुछ दशकों में पकड़ौआ शादी की प्रथा एक विवादास्पद मुद्दा रही है। यह वह शादी होती थी जिसमें लड़कों को बंदूक की नोक पर अगवा कर उनकी जबरन शादी करा दी जाती थी। हालांकि समय के साथ यह प्रथा कम हो गई है फिर भी इसने बिहार के कुछ इलाकों में अपनी छाप छोड़ी है। 1989 में समस्तीपुर जिले के रोसरा अनुमंडल के सहियार डीह गांव में हुई एक शादी की घटना इस परंपरा का प्रतीक बन गई।
साल 1989 में मनोज कुमार सिंह नामक एक प्राइवेट टीचर बेगूसराय के सिमरिया में बारात में गए थे। इस बारात में शामिल पांच लड़कों की जबरन शादी करा दी गई थी। वह सभी लड़के पढ़ाई कर रहे थे लेकिन अचानक उन पर बंदूक की नोक पर शादी का दबाव डाला गया। जब बारात गांव लौटी तो एक दुल्हन की बजाय पांच दुल्हनें आईं जिससे गांव वाले हैरान रह गए। इस घटना के बाद से सहियार डीह को पकड़ौआ शादी गांव के नाम से जाना जाने लगा।
कुंडली में एक नई मोड़ आने के बाद इस घटना को लेकर गांव के लोग कहते हैं कि पकड़ौआ शादी से उनकी किस्मत बदल गई। जब हाल ही में इस गांव का सर्वे किया गया तो गांव के एक निवासी सुबोध कुमार सिंह ने बताया कि उन पांचों लड़कों के जीवन में बहुत बदलाव आया। वे अब जिम्मेदार नागरिक बन गए हैं जिनमें से कई ने सरकारी नौकरी प्राप्त की। हालांकि दो लड़कों का निधन हो चुका है लेकिन शेष तीन की किस्मत सुधर गई। इस घटना ने साबित कर दिया कि कभी-कभी ग़लत तरीके से शुरू होने वाली चीज़ें भी सकारात्मक मोड़ ले सकती हैं।