नई दिल्ली:- केंद्र सरकार ने आदिवासी समाज के महानायक भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के अवसर पर दिल्ली के सराय काले खां चौक का नाम बदलकर ‘भगवान बिरसा मुंडा चौक’ कर दिया। गृहमंत्री अमित शाह ने इस मौके पर सराय काले खां स्थित बांसेरा पार्क में बिरसा मुंडा की प्रतिमा का अनावरण किया। गृहमंत्री अमित शाह ने बिरसा मुंडा को “धरती आबा” कहते हुए उनके जल, जंगल और जमीन के अधिकारों के संरक्षण की सोच को याद किया। उन्होंने कहा कि बिरसा मुंडा ने आदिवासी समाज को उनकी संस्कृति और आत्म-सम्मान का बोध कराया। उनके प्रयासों ने समाज में जागरूकता पैदा की और उन्होंने मातृभूमि की आजादी के लिए अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2021 में बिरसा मुंडा की जयंती को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में घोषित किया गया था। इस साल बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर गृहमंत्री ने इसे ‘आदिवासी गौरव वर्ष’ के रूप में मनाने की घोषणा की जो 15 नवंबर 2025 तक चलेगा।
कौन थे काले खां?
सराय काले खां का नाम मुगलकालीन योद्धा काले खां के नाम पर रखा गया था। काले खां दिल्ली क्षेत्र में सराय निर्माण के लिए जाने जाते थे जिसे व्यापारिक मार्गों पर यात्रियों के ठहरने के लिए बनाया गया था।
इस मौके पर केंद्रीय शहरी कार्य एवं आवासन मंत्री मनोहर लाल खट्टर, दिल्ली के उप-राज्यपाल वीके सक्सेना, केंद्रीय राज्यमंत्री हर्ष मल्होत्रा, और सांसद रामवीर सिंह बिधूड़ी जैसे गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे। समारोह में बिरसा मुंडा के जीवन और उनके आदर्शों पर चर्चा की गई। गृहमंत्री ने घोषणा की कि देशभर में 20 आदिवासी महानायकों के संग्रहालय बनाए जाएंगे ताकि लोगों को उनकी वीरता और बलिदान से प्रेरणा मिले।
झारखंड के एक छोटे से गांव में 15 नवंबर 1875 को जन्मे बिरसा मुंडा ने महज 25 वर्ष की आयु में स्वतंत्रता संग्राम के लिए अद्वितीय योगदान दिया। उन्होंने आदिवासी समाज की सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित रखने के साथ-साथ ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ लड़ाई लड़ी। इस नाम परिवर्तन के जरिए सरकार ने आदिवासी समाज और उनके नायकों को सम्मान देने का प्रयास किया है।