सोनभद्र (उत्तर प्रदेश):- प्रबोधिनी एकादशी का पर्व हर साल भक्तों के लिए एक विशेष महत्व रखता है और इस बार परमहंस आश्रम शक्तेषगढ़ में इसे बड़े धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर भक्तों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। अनुमान है कि एक लाख से अधिक भक्तों ने आश्रम में आकर योगेश्वर महाप्रभु के दर्शन किए और प्रसाद ग्रहण किया।
इस एकादशी पर्व की महिमा को समझाने के लिए विशेष रूप से बख्तियारपुर, बिहार से आए स्वामी श्रद्धा महाराज जी ने एकादशी की आध्यात्मिक और धार्मिक महत्ता पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि प्रबोधिनी एकादशी वह दिन है जब भगवान विष्णु चार महीने की निद्रा के बाद जागृत होते हैं। इस दिन को ‘देव उठनी एकादशी’ भी कहा जाता है और इसे विष्णु जागरण के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर भक्तजन उपवास रखते हैं और पूरे दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते हैं, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दिन किया गया पूजा-पाठ और भक्ति विशेष फलदायी होती है।
स्वामी श्रद्धा महाराज जी ने बताया कि यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि भक्तों के लिए एक ऐसा अवसर भी है जब वे अपने जीवन में आध्यात्मिक शक्ति का अनुभव कर सकते हैं। इस दिन किए गए व्रत और पूजा से भक्तजन अपने जीवन में सकारात्मकता और शांति का संचार कर सकते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एकादशी व्रत से मनुष्य के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है। स्वामी जी के प्रवचनों में भक्ति, त्याग और साधना की महत्ता पर भी विशेष ध्यान दिया गया।
परमहंस आश्रम के प्रमुखों ने भी भक्तों के स्वागत के लिए विशेष व्यवस्था की थी। भक्तों को भगवान योगेश्वर महाप्रभु के दर्शन कराने के लिए विशेष प्रबंध किए गए थे, ताकि उन्हें किसी प्रकार की कठिनाई न हो। इसके अलावा, आश्रम के अनुयायियों और सेवकों ने भक्तों को प्रसाद वितरण में सहयोग दिया। प्रसाद ग्रहण करना एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान माना जाता है, और इसे प्राप्त करने के लिए भक्तों में अत्यधिक उत्साह देखने को मिला।
प्रबोधिनी एकादशी के इस महापर्व पर भक्तों में एक अद्भुत जोश और उत्साह देखा गया। भक्तजनों ने पूरे श्रद्धा और भक्ति के साथ भगवान के प्रति अपनी आस्था प्रकट की। स्वामी श्रद्धा महाराज जी के प्रवचनों के माध्यम से भक्तों ने एकादशी की महत्ता को समझा और उसे अपने जीवन में आत्मसात करने की प्रेरणा ली।
इस प्रकार, परमहंस आश्रम में प्रबोधिनी एकादशी का यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण साबित हुआ, बल्कि भक्तों के लिए एक ऐसा अवसर बना जिसमें उन्होंने भक्ति, त्याग और आध्यात्मिकता के पथ पर चलने की प्रेरणा प्राप्त की।
लास्ट वाली लाइन में आश्रम के प्रमुख संतों में पूज्य श्री नारद महाराज जी, पूज्य श्री राजेश्वरानंद महाराज जी, पूज्य श्री श्रद्धानंद महाराज जी, लाले महाराजजी, दीपक बाबा, आशीष बाबा, सहित देश के कोने-कोने परमहंस आश्रम से महात्मा एवं भक्तगण प्रबोधिनी एकादशी पर दर्शन, आशीर्वाद एवं प्रसाद प्राप्त किया।