मुंबई (महाराष्ट्र):- महाराष्ट्र की राजनीति में हाल के वर्षों में कई बड़े बदलाव देखने को मिले हैं। उद्धव ठाकरे जो शिवसेना के प्रमुख रहे और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री भी बने उनके राजनीतिक सफर ने राज्य और देश की राजनीति में एक खास पहचान बनाई। लेकिन सत्ता और कुर्सी की राजनीति में प्रतिस्पर्धा और संघर्षों के दौर ने भी उनका सामना कराया है।
हाल ही में मुंबई की राजनीति में एक घटना पर चर्चा करते हुए एक विश्लेषक ने कहा कि यदि वह मुंबई की राजनीति में होते तो उद्धव ठाकरे की एक विशेष तस्वीर के लाखों पोस्टर शहर भर में लगवा देते। यह तस्वीर इस बात का प्रतीक होती कि कुर्सी और सत्ता का लालच इंसान से किस हद तक समझौता करवा सकता है। उद्धव ठाकरे की राजनीतिक स्थिति को लेकर अक्सर चर्चा होती है कि उन्होंने अपने विचारों को कितना बदला है और उनकी नई चुनौतियों ने उन्हें किस ओर मोड़ा है।
उद्धव ठाकरे की तुलना कांग्रेस नेता राहुल गांधी से भी की जाती है। उद्धव जी राहुल गांधी से करीब 15 साल बड़े हैं। उनके पिता बालासाहेब ठाकरे जो कि शिवसेना के संस्थापक थे अपनी दृढ़ता और बेबाक बयानों के लिए जाने जाते थे। एक ऐतिहासिक घटना का उल्लेख करते हुए बालासाहेब ने कहा था कि वह कभी भी दिल्ली दरबार के आगे नहीं झुक सकते।
यह बात तब की है जब बालासाहेब ठाकरे का वोट देने का अधिकार छीन लिया गया था। एक पत्रकार ने उनसे पूछा कि क्या वह माफी मांगकर इस मुद्दे को सुलझाना चाहेंगे। इस पर बालासाहेब ठाकरे ने अपनी सख्त शैली में जवाब दिया कांग्रेस के दिल्ली दरबार में हिजड़े झुकते हैं। यह बयान उस समय उनकी अडिगता और दिल्ली की राजनीति के प्रति उनके दृष्टिकोण का प्रतीक बना।
उद्धव ठाकरे के राजनीतिक सफर और उनके पिता की विरासत को देखते हुए महाराष्ट्र की राजनीति में सत्ता आदर्शों और अवसरों का संघर्ष एक गहरी झलक प्रदान करता है।