ऑस्ट्रेलिया:- विराट कोहली जिनके बारे में एक समय सोचा जाता था कि वह सचिन तेंदुलकर के 100 अंतरराष्ट्रीय शतकों के रिकॉर्ड को पार करने वाले सहज उत्तराधिकारी होंगे अब आलोचकों की नजरों में हैं। खासकर उनके हालिया प्रदर्शन ने उनके टेस्ट क्रिकेट में 10 हज़ार रन के क्लब में शामिल होने की संभावना पर सवाल खड़े कर दिए हैं। कोहली के शानदार करियर के दो प्रमुख फेज़ देखे जा रहे हैं 2011 से 2019 तक और 2020 से अब तक। पहले दौर में कोहली ने 84 टेस्ट में 27 शतक जमाए जबकि 2020 के बाद 33 मैचों में केवल 2 शतक आए हैं।
महान बल्लेबाजों जैसे विवियन रिचर्ड्स, सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, और रिकी पोंटिंग के करियर में भी एक समय आया जब उन्होंने उम्र और प्रदर्शन की चुनौती का सामना किया। रिचर्ड्स ने अपनी आखिरी 21 पारियों में कोई शतक नहीं बनाया। तेंदुलकर ने अपनी अंतिम 40 पारियों में शतक नहीं लगाया और द्रविड़ ने 13 पारियों में केवल एक शतक बनाया। पोंटिंग ने भी अपनी अंतिम 11 पारियों में शतक से दूरी बनाए रखी। इन उदाहरणों से यह स्पष्ट होता है कि एक खिलाड़ी के लिए 35 की उम्र के आसपास अपनी उत्कृष्टता बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
कोहली के लिए अहमदाबाद और पोर्ट ऑफ स्पेन में 2023 में दो शतक आए जिससे ऐसा लगा कि वह अपनी पुरानी फॉर्म में लौट रहे हैं। परंतु अगर इन दो शतकों को छोड़ दिया जाए तो पिछले 55 पारियों में कोई शतक नहीं दिखता। यही कारण है कि ऑस्ट्रेलिया दौरा उनके भविष्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।