मुंगेर (बिहार):- बिहार का महापर्व छठ पूजा लोक आस्था और विश्वास का प्रतीक है। यह पर्व सूर्य देवता और छठी मैया को समर्पित है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस महापर्व की शुरुआत बिहार के मुंगेर जिले से हुई थी। माना जाता है कि माता सीता ने सबसे पहला छठ पूजन मुंगेर के गंगा तट पर किया था। उस समय रामचंद्र जी के साथ वनवास पर रहते हुए माता सीता ने इस पूजा को किया जिससे यह पवित्र पर्व शुरू हुआ।
छठ पूजा की खासियत यह है कि इसमें सूर्य की उपासना होती है जो जीवन और उर्जा के मुख्य स्रोत माने जाते हैं। यह पर्व चार दिनों तक चलता है और इसमें व्रती महिलाएं कठिन नियमों का पालन करती हैं।
छठ पूजा का महत्व और विधि
छठ महापर्व का आयोजन नहाय-खाय से प्रारंभ होता है। पहले दिन व्रती गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान कर शुद्धता के साथ व्रत की शुरुआत करते हैं। दूसरे दिन को खरना कहा जाता है, जिसमें व्रती दिन भर निर्जला व्रत रखते हैं और शाम को चावल और गुड़ की खीर का प्रसाद ग्रहण करते हैं। इस प्रसाद को ग्रहण करने के बाद व्रती जल तक का सेवन नहीं करते और अगले दिन उदयाचल सूर्य को अर्घ्य देने के लिए तैयार होते हैं।
तीसरे दिन जिसे संध्या अर्घ्य कहा जाता है, व्रती अस्ताचल सूर्य को अर्घ्य देते हैं। महिलाएं पानी में खड़े होकर पूरे विधि-विधान से सूर्य को प्रसन्न करने के लिए संध्या पूजा करती हैं। चौथे दिन सूर्योदय