महाराष्ट्र( मुंबई):- महाराष्ट्र में राजनीतिक हलचल के बीच शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता संजय राऊत ने राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) राजन वाघमारे पर गंभीर आरोप लगाए हैं। राऊत ने कहा है कि डीजीपी पर फोन टैपिंग का आरोप गंभीर है और यह चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है। उन्होंने चुनाव आयोग से इस मामले में तुरंत कार्रवाई करने की मांग की है लेकिन उनके अनुसार आयोग का मौन रहना सवाल खड़ा करता है कि क्या इसके पीछे कोई विशेष कारण है।
राऊत ने संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि इस तरह के आरोप केवल राजनीति में ही नहीं बल्कि कानून व्यवस्था में भी गंभीर समस्या पैदा कर सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यदि ऐसे आरोप साबित होते हैं तो यह लोकतंत्र के लिए खतरा हो सकता है। फोन टैपिंग की गतिविधियों का उद्देश्य राजनीतिक विरोधियों पर निगरानी रखना हो सकता है जो कि एक गंभीर मुद्दा है। राऊत ने यह स्पष्ट किया कि लोकतंत्र में हर व्यक्ति को अपनी आवाज उठाने का अधिकार है और किसी भी तरीके से उस आवाज को दबाना उचित नहीं है। संजय राऊत का यह बयान तब आया है जब महाराष्ट्र में चुनावी माहौल गरम है। विभिन्न राजनीतिक दल एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर रहे हैं। राऊत ने चुनाव आयोग को चेतावनी दी है कि यदि वह इस मामले में उचित कार्रवाई नहीं करता है तो यह न केवल चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करेगा, बल्कि आम जनता के विश्वास को भी चोट पहुंचाएगा।
उन्होंने आगे कहा कि चुनाव आयोग को इस तरह की गंभीर मुद्दों पर सजग रहना चाहिए और किसी भी प्रकार के दुरुपयोग को रोकने के लिए तत्पर रहना चाहिए। राऊत ने यह भी कहा कि यह सिर्फ एक आरोप नहीं है बल्कि इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए। यदि किसी भी अधिकारी के ऊपर ऐसे आरोप हैं तो उसे निष्पक्ष जांच के लिए हटा देना चाहिए ताकि न्याय की प्रक्रिया में कोई बाधा न आए।
राऊत के इस बयान ने न केवल राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है बल्कि आम जनता के बीच भी इस मुद्दे पर चर्चा का विषय बन गया है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि यह स्थिति आगामी चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है क्योंकि यह मुद्दा मतदाताओं को प्रभावित कर सकता है। अब देखना यह होगा कि चुनाव आयोग इस मामले में क्या कदम उठाता है और क्या महाराष्ट्र में राजनीतिक स्थिरता बनाए रखने के लिए आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।