दीपावली 2024 :- दीपावली का महापर्व शुरू होने में एक सप्ताह से भी कम का समय रह गया है। यह पावन पर्व धनतेरस से आरंभ होकर भैया दूज पर समाप्त होता है। इस पांच दिवसीय महापर्व के हर दिन का अपना विशेष महत्व है। पांच-दिवसीय महापर्व के पहले दिन धनतेरस, दूसरे दिन छोटी दिवाली, तीसरे दिन दीपावली, चौथे दिन गोवर्धन पूजा और पांचवे दिन भैया दूज मनाया जाता है। इन पांच त्योहारों को त्योहारों का राजा भी कहा जाता है। आइए जानते हैं धनतेरस, नरक चौदस, दीपावली, गोवर्धन और भाई दूज के बारे में खास बातें और किस दिन कौन-सा पर्व मनाया जाएगा।
इस दिन मनाया जाएगा धनतेरस
दीपावली के इस पांच दिवसीय महापर्व का पहला दिन कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी होता है। इस दिन समुद्र मंथन से प्राप्त चौदह रत्नों में से एक आयुर्वेदाचार्य धन्वंतरी अमृत-कलश लेकर प्रकट हुए थे। उनके दर्शन से सूखी खेती हरित होकर लहलहा उठती थी। मृत व्यक्ति भी जीवित हो जाता था। विधाता के कार्य में यह एक बड़ा व्यवधान उत्पन्न करता था। सृष्टि में भयंकर अव्यवस्था की संभावना के भय से देवताओं ने उन्हें छल से लोप कर दिया। वैद्यगण इस दिन धन्वंतरी जी की पूजा करते हैं और वर मांगते हैं कि उनकी औषधियों में ऐसी शक्ति आए जिससे रोगी को स्वास्थ्य लाभ हो सके। गृहस्थ इस दिन अमृत पात्र का स्मरण कर नए बर्तन घर में लाकर धनतेरस मनाते हैं। इसी दिन यमराज ने अपनी बहन यमुना से मिलने के लिए स्वर्ग से पृथ्वी पर आने का निर्णय लिया था। इस दिन महिलाएं अपनी देहरी पर दीपक जलाती हैं, ताकि यमराज मार्ग में प्रकाश देखकर प्रसन्न हों और उनके परिवार के प्रति विशेष कृपा रखें। इस वर्ष यह पर्व 29 अक्टूबर 2024, मंगलवार को मनाया जाएगा। इसी दिन प्रातः सूर्य उदय से त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ होगा। इसलिए उदय व्यापिनी त्रयोदशी के कारण प्रदोष व्रत और प्रदोष काल में दीपदान का विशेष महत्व रहेगा।
इस दिन दीपावली का पर्व मनाया जाएगा
अब इस श्रृंखला में आता है दिवाली का महान पर्व और महालक्ष्मी पूजा। यह दिन अनेक महत्वपूर्ण घटनाओं से भरा हुआ है। कार्तिक अमावस्या के दिन श्रीराम ने लंका विजय करके, सीता-लक्ष्मण-हनुमान और अन्य साथियों के साथ आकाश मार्ग से अयोध्या लौटे थे। जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी भी इसी दिन निर्वाण को प्राप्त हुए थे। महान समाज सुधारक महर्षि दयानंद ने भी इसी दिन निर्वाण प्राप्त किया। राम के स्वरूप को मानने वाले स्वामी रामतीर्थ परमहंस का जन्म और जल समाधि दोनों ही दिवाली के दिन हुए। सिखों के छठे गुरु हरगोबिंद जी और पराक्रमी राजा विक्रमादित्य ने भी इसी दिन विजय पर्व मनाया था।
गोवर्धन पूजा के दिन बनेंगे पकवान
इस वर्ष विक्रम संवत् 2081 में दीपोत्सव 30 अक्टूबर 2024, गुरुवार को धर्मशास्त्र के अनुसार प्रदोषकाल एवं निशीथकाल व्यापिनी अमावस्या में मनाया जाएगा। कई वर्षों बाद स्वाति नक्षत्र के साथ अमावस्या में दीपमाला सजाई जाएगी, जो समग्र राष्ट्र और समाज के लिए सुख, समृद्धि और सुभिक्ष का प्रतीक सिद्ध होगी। दीपावली महापर्व में लक्ष्मी पूजन का प्रदोष काल में विशेष महत्व है। इसमें प्रदोषकाल गृहस्थों और व्यापारियों के लिए महत्वपूर्ण है और निशीथकाल में आगम शास्त्र विधि से पूजा के लिए उपयुक्त है। चतुर्दशी या प्रतिपदा में दीपावली-महालक्ष्मी पूजन आदि कृत्य करने का शास्त्रीय विधान नहीं है।
3 नवंबर को मनाया जाएगा भाई दूज का पर्व :-
माला का अंतिम पर्व है स्नेह, सौहार्द और प्रेम का प्रतीक यम द्वितीया या भैया दूज। इस दिन कार्तिक शुक्ल को यमराज अपने दिव्य स्वरूप में अपनी बहन यमुना से मिलने आते हैं। यमुना यमराज को मंगल तिलक करके स्वादिष्ट व्यंजन खिलाकर आशीर्वाद प्रदान करती हैं। इस दिन भाई-बहन एक साथ यमुना स्नान करें तो उनका स्नेह और मजबूत होता है। इस बार भैया दूज 3 नवंबर, रविवार को मनाया जाएगा।