इंदौर (मध्य प्रदेश):- इंदौर ने जल संरक्षण और संवर्धन के क्षेत्र में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने इंदौर को पाँचवें राष्ट्रीय जल पुरस्कार में पश्चिमी क्षेत्र के सर्वश्रेष्ठ जिले के रूप में सम्मानित किया। यह पुरस्कार इंदौर के प्रभावी जल प्रबंधन, जल पुनर्भरण और वर्षा जल संचयन के उत्कृष्ट प्रयासों के लिए दिया गया है।
इंदौर ने नदियों के जलग्रहण क्षेत्रों में चेक डैम का निर्माण, नाला टेपिंग, सीवेज प्रबंधन, और वाटर रिचार्जिंग जैसी पहलें की हैं जिससे जल संरक्षण में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। इस तरह के नवाचारों के कारण इंदौर को यह प्रतिष्ठित पुरस्कार मिला जो शहर की जल संरक्षण प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
इंदौर ने जीता ये अवॉर्ड
इंदौर जो स्वच्छता के क्षेत्र में लगातार देश का अग्रणी शहर रहा है अब जल संरक्षण और संवर्धन में भी अपनी पहचान बना रहा है। हाल ही में जल शक्ति मंत्रालय के तहत आयोजित पाँचवें राष्ट्रीय जल पुरस्कार 2023 में इंदौर को पश्चिमी क्षेत्र के बेस्ट डिस्ट्रिक्ट कैटेगरी में प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
इस पुरस्कार के अंतर्गत कुल 9 श्रेणियों में 38 विजेताओं की घोषणा की गई थी, जिसमें राज्यों, जिलों, ग्राम पंचायतों, शहरी निकायों, स्कूलों, और उद्योगों को जल संरक्षण में उनके योगदान के लिए पुरस्कृत किया गया। इंदौर को यह सम्मान जल प्रबंधन के लिए किए गए प्रभावशाली उपायों के कारण मिला, जिसमें जल पुनर्भरण, नाला टेपिंग, सीवेज प्रबंधन, और बारिश के पानी के संचयन के नवाचार शामिल हैं।
इससे पहले स्वच्छता में लगातार अव्वल रहने वाले इंदौर ने जल संरक्षण में भी अग्रणी भूमिका निभाते हुए यह साबित किया है कि वह सिर्फ एक स्वच्छता मॉडल नहीं है, बल्कि जल संरक्षण के क्षेत्र में भी अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है। इस उपलब्धि ने इंदौर को देशभर में एक आदर्श जल प्रबंधन मॉडल के रूप में स्थापित किया है।
इंदौर में हुआ बावड़ी का कायाकल्प
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के मार्गदर्शन तथा प्रदेश के जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट के प्रयासों से कनाडिया स्थित करीब 300 वर्ष प्राचीन अहिल्याबाई होल्कर द्वारा निर्मित बावड़ी जो जर्जर अवस्था में पहुंच गई थी। जीर्णोद्धार एवं उन्नयन कार्य से अब इस बावड़ी को एक नया स्वरूप मिलेगा। उल्लेखनीय है कि, बावड़ी जीर्णोंद्धार, प्रवेश द्वार, लोकमाता अहिल्याबाई होलकर की प्रतिमा, मंदिर निर्माण, गार्डन, बाउंड्रीवाल के निर्माण से इस प्राचीन बावड़ी का वैभव बढ़ेगा और इसे एक नया स्वरूप मिलेगा।