बिहार: बिहार के सीवान और छपरा जिलों में जहरीली शराब पीने की घटनाओं में अब तक 20 लोगों की मौत हो चुकी है। यह घटना समाज के कई तबकों में चिंता का विषय बन गई है और राज्य सरकार की शराब नीति पर सवाल उठाने का कारण बन रही है। सिविल सर्जन की रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि की गई है कि मृतकों में छपरा के 8 लोग शामिल हैं जबकि बाकी लोग सीवान के निवासी हैं। बिहार में पिछले कुछ वर्षों में अवैध शराब के कारोबार में वृद्धि देखी गई है। राज्य सरकार द्वारा शराबबंदी लागू होने के बावजूद अवैध शराब का उत्पादन और वितरण जारी है। यह घटनाएं एक बार फिर से इस बात की पुष्टि करती हैं कि कैसे जहरीली शराब के सेवन से मानव जीवन पर खतरा मंडरा रहा है। स्थानीय प्रशासन को मगहर और औरिया पंचायतों में तीन लोगों की संदिग्ध मौत की सूचना मिली। जब पुलिस और प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि कुछ अन्य लोग भी अस्पताल में भर्ती कराए जा चुके हैं। यह जानकारी मिलते ही सीवान के जिलाधिकारी मुकुल कुमार गुप्ता ने तुरंत एक टीम को घटनास्थल पर भेजा। जांच के दौरान यह पाया गया कि सभी मृतक शराब पीने के बाद बीमार पड़े थे। उन्हें नजदीकी अस्पताल में ले जाया गया लेकिन कई की हालत गंभीर थी। अस्पताल में भर्ती किए गए 12 अन्य लोगों में से एक व्यक्ति की रास्ते में ही मौत हो गई। यह स्थिति इस बात का संकेत देती है कि अवैध शराब के सेवन के परिणाम कितने खतरनाक हो सकते हैं।
घटनाओं के सामने आने के बाद सीवान और छपरा के जिलाधिकारी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए उच्च स्तरीय बैठक बुलाई। प्रशासन ने अवैध शराब के कारोबार को रोकने के लिए विशेष अभियान चलाने का निर्णय लिया है। इसके तहत पुलिस विभाग को निर्देश दिए गए हैं कि वे उन स्थानों पर छापेमारी करें जहां अवैध शराब का निर्माण और बिक्री हो रही है। मुकुल कुमार गुप्ता ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा हम इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं। हम जल्द से जल्द आवश्यक कार्रवाई करेंगे ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग को अलर्ट किया गया है ताकि किसी भी संभावित मामले से निपटा जा सके। स्थानीय निवासी इस घटना से बेहद चिंतित हैं। कई लोगों ने कहा कि सरकार की शराबबंदी का पालन नहीं हो रहा है और अवैध शराब का कारोबार खुल्लम-खुल्ला जारी है। छपरा के एक निवासी ने कहा, “सरकार को इसे रोकने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। यह हमारे जीवन के लिए खतरा बन गया है। लोगों ने यह भी कहा कि अवैध शराब के सेवन से न केवल मौतें हो रही हैं बल्कि यह समाज में कई अन्य समस्याओं को भी जन्म दे रहा है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह इस समस्या को गंभीरता से ले और आवश्यक कदम उठाए।
बिहार सरकार ने 2016 में शराबबंदी लागू की थी लेकिन इसके बावजूद अवैध शराब का कारोबार बढ़ता जा रहा है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि शराबबंदी के बावजूद यदि वैकल्पिक उपाय नहीं किए गए, तो अवैध शराब की समस्या बढ़ती रहेगी।विभिन्न सामाजिक संगठनों ने भी इस मुद्दे पर अपनी आवाज उठाई है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि अवैध शराब के कारोबार पर नियंत्रण पाने के लिए ठोस और प्रभावी कदम उठाए जाएं। यह घटना एक बार फिर से इस बात की पुष्टि करती है कि बिहार में जहरीली शराब के सेवन से होने वाले खतरनाक परिणामों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। राज्य सरकार को चाहिए कि वह इस समस्या का समाधान करने के लिए ठोस कदम उठाए और समाज में जागरूकता बढ़ाने के लिए अभियान चलाए।
अवैध शराब के कारोबार पर काबू पाना और लोगों को सुरक्षित जीवन जीने का अधिकार दिलाना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए। यदि ऐसी घटनाओं को समय रहते नहीं रोका गया तो यह समाज में और भी अधिक समस्याओं को जन्म दे सकता है।