महाराष्ट्र: शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने महाराष्ट्र सरकार के मदरसा शिक्षकों के वेतन बढ़ाने के फैसले पर बीजेपी पर तीखा हमला किया है। उन्होंने इसे ‘वोट जिहाद’ करार देते हुए कहा कि अगर यह फैसला उनकी सरकार ने लिया होता तो बीजेपी इसे सांप्रदायिक रंग देती।महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले, मदरसा शिक्षकों के वेतन और मानदेय में वृद्धि पर राजनीतिक बहस छिड़ गई है। शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने शुक्रवार, 11 अक्टूबर को महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार के इस कदम की आलोचना की। राउत ने तंज कसते हुए कहा कि बीजेपी ने यह फैसला चुनावी गणित को ध्यान में रखकर किया है।
उन्होंने कहा कि “मदरसा शिक्षकों का वेतन बढ़ना चाहिए लेकिन अगर हमने ऐसा किया होता तो बीजेपी इसे ‘वोट जिहाद’ कहती।” इसके साथ ही राउत ने सरकार की ‘लाडकी बहिन योजना’ और मौलाना आजाद वित्तीय निगम की कार्यशील पूंजी को 700 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1,000 करोड़ रुपये करने के फैसले पर भी सवाल उठाया।
कांग्रेस नेता नसीम खान ने भी इस फैसले को चुनावी रणनीति का हिस्सा बताया और कहा कि मदरसा शिक्षकों के वेतन में वृद्धि का उद्देश्य मुस्लिम समुदाय को लुभाना है। हालांकि खान ने दोनों फैसलों का स्वागत किया लेकिन कहा कि सरकार की मंशा चुनावों में बीजेपी की स्थिति को मजबूत करने की है न कि मुस्लिम उत्थान के लिए।
बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने संजय राउत पर पलटवार करते हुए कहा कि बीजेपी की सरकार ने संजय राउत और उद्धव ठाकरे का वेतन नहीं बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी की महायुति सरकार शिक्षा और स्वास्थ्य के मामलों में धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करती।
महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में मदरसा शिक्षकों के मानदेय में बढ़ोतरी की घोषणा की। डीएड डिग्री वाले शिक्षकों का मानदेय 6,000 रुपये से बढ़ाकर 16,000 रुपये और बीए, बीएड, बीएससी डिग्री वाले शिक्षकों का मानदेय 8,000 रुपये से बढ़ाकर 18,000 रुपये किया गया है। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव अगले महीने होने की संभावना है, क्योंकि मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को समाप्त हो रहा है।