जम्मू-कश्मीर की राजनीति में एक नया मोड़ आ गया है, जहां नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) की सीटों की संख्या अब 46 हो गई है। एनसी के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि वे कांग्रेस से समर्थन के लिए पत्र का इंतजार कर रहे हैं।
इस घोषणा से जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक तस्वीर में बदलाव आ सकता है। उमर अब्दुल्ला ने पहले ही कहा था कि पीडीपी ने एनसी के घोषणापत्र की नकल की है और उन्होंने महबूबा मुफ्ती की अगुवाई वाली पार्टी से आग्रह किया है कि जम्मू-कश्मीर के बेहतर भविष्य के लिए एनसी-कांग्रेस के उम्मीदवारों के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ें।
उमर अब्दुल्ला के इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि एनसी और कांग्रेस जम्मू-कश्मीर में मिलकर चुनाव लड़ सकते हैं। इस गठबंधन से जम्मू-कश्मीर की राजनीति में एक नए युग की शुरुआत हो सकती है।
*जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक स्थिति*
जम्मू-कश्मीर में एनसी और कांग्रेस के गठबंधन से राज्य की राजनीतिक स्थिति में बदलाव आ सकता है। इस गठबंधन से जम्मू-कश्मीर के लोगों को एक मजबूत और स्थिर सरकार मिल सकती है।
*एनसी की रणनीति*
उमर अब्दुल्ला के बयान से यह स्पष्ट होता है कि एनसी जम्मू-कश्मीर में एक मजबूत और स्थिर सरकार बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। एनसी की रणनीति जम्मू-कश्मीर के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने की है।
इस प्रकार, जम्मू-कश्मीर में एनसी की सीटों की संख्या 46 होने और उमर अब्दुल्ला के कांग्रेस से समर्थन के लिए पत्र का इंतजार करने से राज्य की राजनीति में एक नए युग की शुरुआत हो सकती है।