जम्मू कश्मीर: 2019 के बाद पहली बार जम्मू-कश्मीर में हुए विधानसभा चुनावों में अब तक की काउंटिंग के रुझान नेशनल कांफ्रेंस (NC) और कांग्रेस पार्टी के गठबंधन के पक्ष में दिख रही है। पहले से अनुमानों के विपरीत, जहां बीजेपी को मजबूत स्थिति में आने की उम्मीद थी एग्जिट पोल ने भी इस गठबंधन को बढ़त दिखाई थी। आइए जानते हैं कि किस प्रकार इस गठबंधन ने बीजेपी के खिलाफ मजबूत स्थिति बनाई:
रणनीतिक चुनाव-पूर्व गठबंधन: NC और कांग्रेस ने त्रिशंकु विधानसभा से बचने के लिए चुनाव-पूर्व गठबंधन बनाया। सीट-बंटवारे का समझौता किया गया जिसमें NC ने 51 और कांग्रेस ने 32 सीटों पर चुनाव लड़ा। यह गठबंधन वोटों को एकजुट करने के लिए था जिससे बीजेपी और अन्य दलों के खिलाफ एक सशक्त विकल्प प्रस्तुत किया जा सके।
भाजपा के खिलाफ जनता की भावना: जम्मू के अलावा, अन्य क्षेत्रों में बीजेपी के खिलाफ जनभावना बढ़ी। जम्मू में बीजेपी का समर्थन था, लेकिन कश्मीर के बाकी हिस्सों में NC और कांग्रेस के गठबंधन ने अन्य पार्टियों को कमजोर कर दिया।
प्रभावी प्रचार: NC और कांग्रेस, दोनों पुरानी पार्टियां हैं और उनके कामकाज के प्रति वोटर्स का एक स्थिरता है। इसके अलावा, अब्दुल्ला परिवार का कश्मीर में अच्छा प्रभाव रहा जिससे उन्हें लाभ हुआ।
स्थानिक मुद्दों का प्रभाव: NC और कांग्रेस ने स्थानीय मुद्दों को उठाकर लोगों के बीच विश्वास प्राप्त किया। लोगों ने महसूस किया कि इन पार्टियों के पास उनके समस्याओं का समाधान है जो बीजेपी के मुकाबले अधिक प्रभावी तरीके से पेश किया गया।
भाजपा के खिलाफ एकता: NC और कांग्रेस का गठबंधन बीजेपी के खिलाफ एकजुटता का प्रतीक बना। इसने पार्टी के समर्थकों को जोड़ने में मदद की और भाजपा को एक मजबूत चुनौती दी।
इन कारणों से, NC और कांग्रेस का गठबंधन जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने की ओर अग्रसर है जबकि बीजेपी के लिए ये चुनाव परिणाम एक बड़ा झटका साबित हो सकते हैं।