मालदीव:मालदीव वर्तमान में गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है, जहां देश का कुल कर्ज उसकी जीडीपी के 122.9% तक पहुँच गया है। इस स्थिति का प्रमुख कारण बेतहाशा कर्ज और कोविड-19 महामारी का प्रभाव है।
कर्ज का विवरण: मालदीव ने पिछले एक दशक में भारत और चीन से भारी कर्ज लिया है जिसका कुल अनुमानित आंकड़ा लगभग 3.4 बिलियन डॉलर है। वर्तमान में देश को इस साल 114 मिलियन डॉलर का भुगतान करना है और अगले साल $557 मिलियन और 2026 में $1.07 बिलियन की आवश्यकता होगी। हाल ही में, मालदीव का विदेशी मुद्दा भंडार केवल 437 मिलियन डॉलर था जो मात्र डेढ़ महीने के आयात के लिए पर्याप्त था।
भारत का समर्थन: भारत ने इस संकट के दौरान मालदीव का समर्थन करते हुए 40 करोड़ डॉलर की मुद्रा अदला-बदली का समझौता किया है। इससे मालदीव की विदेशी मुद्रा भंडार की समस्याओं का समाधान करने में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने इस मौके पर कई महत्वपूर्ण पहल की।
नई पहलें:
रूपे कार्ड का शुभारंभ: भारत और मालदीव ने एक साथ मिलकर मालदीव में रूपे कार्ड लॉन्च किया जिससे देश में डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा मिलेगा।
हवाईअड्डे पर नए रनवे का उद्घाटन: हनीमाधू अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर नए रनवे का उद्घाटन किया गया जिससे मालदीव के पर्यटन क्षेत्र को भी लाभ होगा।
भविष्य की चुनौतियाँ: हालांकि भारत का समर्थन मालदीव को डिफॉल्ट से बचाने में मदद कर रहा है लेकिन मालदीव की अर्थव्यवस्था धीमी गति से बढ़ रही है। पर्यटकों की कमी और घरेलू खर्चों में कमी के कारण आर्थिक स्थिति में सुधार होना चुनौतीपूर्ण है। अगर स्थिति में सुधार नहीं होता है तो मालदीव को गंभीर आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।