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रेपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) का 32वां स्थापना दिवस: दंगों से शांति मिशन तक का सफर

7 अक्टूबर को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) की एक विशेष इकाई, रेपिड एक्शन फोर्स (RAF) ने अपना 32वां स्थापना दिवस मनाया। आरएएफ का गठन देश में दंगों सामाजिक अशांति और आंतरिक सुरक्षा संकटों से निपटने के लिए विशेष रूप से किया गया था। अपनी त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता और अत्याधुनिक उपकरणों के साथ यह बल अब सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी विशेष पहचान बना चुका है।

1. आरएएफ का गठन और विशेष उद्देश्य:

1992 में स्थापित, आरएएफ का मुख्य उद्देश्य दंगों और सांप्रदायिक हिंसा को नियंत्रित करना और त्वरित एवं प्रभावी समाधान प्रदान करना था। समय के साथ बल ने विभिन्न प्रकार की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया है। आरएएफ के जवानों को विशेष रूप से शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में त्वरित कार्रवाई के लिए प्रशिक्षित किया जाता है जहां सामाजिक अशांति पैदा हो सकती है।

आरएएफ के जवान नीले रंग की वर्दी में पहचाने जाते हैं, जो शांति और स्थिरता का प्रतीक है। यह रंग इसे CRPF की अन्य इकाइयों से अलग करता है जिससे इसकी विशिष्ट पहचान बनती है।

2. आरएएफ की संरचना और ट्रेनिंग:

आरएएफ की 15 बटालियनें हैं जो विभिन्न राज्यों में तैनात हैं। इन बटालियनों की एक खास विशेषता यह है कि उनमें अन्य बलों की तुलना में कई गुना अधिक अधिकारी तैनात होते हैं जो जमीनी स्तर पर तेजी से निर्णय लेने और संचालन में मदद करते हैं। आरएएफ के जवानों को अत्याधुनिक दंगा नियंत्रण उपकरण दिए जाते हैं जिनमें शामिल हैं:

वरुण वाटर गन: इस जल तोप का उपयोग भीड़ नियंत्रण के लिए किया जाता है।

दंगा नियंत्रण गियर: जिसमें हेलमेट, ढाल और विभिन्न सुरक्षा उपकरण शामिल होते हैं ताकि बल किसी भी चुनौती का सामना कर सके।

3. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान और भूमिका:

आरएएफ न केवल देश के भीतर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी छवि मजबूत कर चुका है। कई देशों में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों के तहत इसकी तैनाती की गई है। कुछ प्रमुख मिशन निम्नलिखित हैं:

हैती (1993): यहां आरएएफ ने अमेरिकी सैन्य टुकड़ियों के साथ मिलकर चुनाव संपन्न कराए और इसके लिए अंतर्राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त किया।

कोसोवो, सोमालिया, मालदीव, बोसनिया: इन देशों में भी आरएएफ को संयुक्त राष्ट्र के तहत तैनात किया गया जहां इसने सफलतापूर्वक शांति स्थापित करने में मदद की।

आरएएफ की महिला इकाई (FFPU) ने भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऐतिहासिक भूमिका निभाई। 2007 में इसे लाइबेरिया में तैनात किया गया जहां उसने शांति बहाली में महत्वपूर्ण योगदान दिया। यह भारत का पहला और दुनिया का एकमात्र पूर्णत: महिला बल था जिसे संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन के तहत भेजा गया था।

आरएएफ की घरेलू उपलब्धियां:

देश में आरएएफ की भूमिका दंगों, विरोध प्रदर्शनों और आपातकालीन स्थितियों में तत्काल हस्तक्षेप करना है। बल की त्वरित तैनाती के कारण यह सांप्रदायिक तनाव और भीड़ हिंसा जैसी स्थितियों को शांतिपूर्ण तरीके से नियंत्रित करने में सक्षम है। आरएएफ की एक विशेष पहल “फेमिलीराइजेशन” अभियान है जिसके तहत बल के जवान स्थानीय समुदायों के साथ जुड़ते हैं और उनके बीच विश्वास बहाली का कार्य करते हैं।

इसके अतिरिक्त आरएएफ को विशेषाधिकार प्राप्त है कि देश के विभिन्न जिलों के जिला मजिस्ट्रेटों (DM) को तीन दिन तक केंद्र सरकार की अनुमति के बिना बल तैनात करने का अधिकार है। इससे त्वरित कार्रवाई में मदद मिलती है और स्थानीय स्तर पर संकट को जल्दी नियंत्रित किया जा सकता है।

आधुनिकता और भविष्य:

आरएएफ समय-समय पर अपनी तकनीक और तरीकों को अपडेट करता रहता है। बल के जवानों को नवीनतम तकनीक और उपकरणों के साथ प्रशिक्षित किया जाता है ताकि वे किसी भी प्रकार की चुनौती का सामना कर सकें। इसके अलावा बल के पास अलग से विशेष वाहन और आधुनिक संचार उपकरण होते हैं जिससे वे किसी भी स्थिति में तेजी से प्रतिक्रिया कर सकें।

रेपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) ने पिछले 32 वर्षों में देश की आंतरिक सुरक्षा और शांति बहाली में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। चाहे वह दंगों का प्रबंधन हो या अंतर्राष्ट्रीय शांति मिशन आरएएफ ने हर जगह अपनी कार्यकुशलता साबित की है। इसकी त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता और अत्याधुनिक उपकरणों ने इसे एक अद्वितीय बल के रूप में स्थापित किया है जो भविष्य में भी देश की सुरक्षा और शांति के लिए अहम भूमिका निभाता रहेगा।

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