नई दिल्ली :- पिछले हफ्ते चीन के स्टॉक मार्केट्स में आई जबर्दस्त तेजी के बाद नई बहस शुरू हो गई है। ‘सेल इंडिया बाइ चाइना’के सिद्धांत में विश्वास रखने वाले कुछ एनालिस्ट्स का कहना है कि अब विदेशी निवेशक चीन के स्टॉक मार्केट्स का रुख कर सकते हैं। इसकी वजह यह है कि चीन में वैल्यूएशन कम है। इधर इंडिया में वैल्यूएशन आसमान में पहुंच गया है। इस बारे में एलारा कैपिटल के डेटा से कुछ अहम जानकारी मिलती है। इससे पता चला है कि टॉप 30 इमर्जिंग मार्केट्स फंड्स में से 90 फीसदी चीन पर अंडरवेट हैं। इसका मतलब है कि उन्हें चाइनीज स्टॉक्स का प्रदर्शन कमजोर रहने की उम्मीद है।
इमर्जिंग मार्केट फंडों का चीन का एलोकेशन 2017 के बाद सबसे कम
एलारा की रिपोर्ट में बताया गया है कि टॉप 30 ईएम फंडों में से 28 चीन पर अंडरवेट हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक टॉप 450 ईएम फंडों में से करीब 80 फीसदी चीन पर अंडरवेट हैं। 2017 के बाद से चीन के लिए एक्टिव फंडों का एलोकेशन गिरकर अपने निचले स्तर पर आ गया है। यह अभी करीब 19 फीसदी है, जबकि अक्टूबर 2021 में यह 38 फीसदी के सबसे हाई लेवल पर था। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन के मामले यह डेटा काफी अहम है, जिस पर नजर बनाए रखने की जरूरत है।
चीन के स्टॉक मार्केट्स के प्रमुख सूचकांक 22 फीसदी तक उछले
चीन में सरकार और पीप्लस बैंक ऑफ चाइना ने इकोनॉमी को सहारा देने के लिए एक के बाद एक कई कदमों के ऐलान किए हैं। इनका असर देखने को मिला है। पिछले हफ्ते चीन के स्टॉक मार्केट्स में बड़ी तेजी देखने को मिली। इससे इंडिया में इनवेस्टर्स को यह चिंता सता रही है कि विदेशी फंड्स अब इंडियन मार्केट्स में अपना निवेश घटा सकते हैं। वे चीन के स्टॉक मार्केट्स में अपना निवेश बढ़ा सकते हैं। चीन में राहत के उपायों के ऐलान के बाद से शंघाई कंपोजिट इंडेक्स में करीब 25 फीसदी उछाल आया है, जबकि हैंगसेंग करीब 22 फीसदी चढ़ा है। इस दौरान इंडियन मार्केट्स में 2 फीसदी से कम तेजी आई है। दूसरे देशों के बाजारों का भी यही हाल है।