नई दिल्ली :- उत्तर भारत के लोग अब प्रॉपर्टी और सोना जैसे पारंपरिक निवेशों के बजाय शेयर बाजार में पैसे लगा रहे हैं। यही वजह है कि पिछले चार वर्षों में शेयर बाजार में उत्तर भारत के निवेशकों की संख्या चार गुना बढ़ गई है। इसमें उत्तर प्रदेश, दिल्ली और राजस्थान सबसे आगे हैं। आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2020 में शेयर बाजार में उत्तर भारत के कुल 88.4 लाख निवेशक थे। इस साल जुलाई तक इनकी संख्या चार गुना बढ़कर 3.57 करोड़ पहुंच गई है। इस अवधि में पश्चिम भारत के निवेशकों की संख्या 1.08 करोड़ से 182 फीसदी बढ़कर 3.05 करोड़ पहुंच गई। दक्षिण भारतीय निवेशकों की संख्या 75 लाख से 172 फीसदी बढ़कर 1.89 करोड़ पहुंच गई। पूर्वी भारत में अभी 1.19 करोड़ निवेशक है, जो 296 फीसदी ज्यादा है।
चार माह में बढ़े 33 लाख निवेशक
आंकड़ों के मुताबिक, इस साल अप्रैल से जुलाई तक उत्तर भारत में 33.3 लाख निवेशक बढ़े हैं। पश्चिमी भारत में 19.6 लाख और दक्षिण भारत में 14.9 लाख निवेशक बढ़े हैं। पूर्वी भारत में निवेशकों वाले प्रमुख राज्यों में उत्तर पूर्व, पश्चिम बंगाल और ओडिशा है।
इसलिए लगातार बढ़ रही संख्या
2021 के बाद से देशभर में खुदरा निवेशकों की संख्या में जो चार गुना की बढ़त आई है, उसका अधिकांश हिस्सा यूपी जैसे कम पहुंच वाले बाजारों से आ रहा है। निवेशकों की संख्या में भारी तेजी का प्रमुख कारण लोगों की बढ़ती आय, शेयर बाजार के प्रति जागरुकता, इंटरनेट की बेहतर सुविधा है। विश्लेषकों ने कहा, आने वाले समय में बड़ी आबादी शेयर बाजार में निवेश करती दिखेगी।
उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी बढ़कर 11 फीसदी पहुंची
उत्तर प्रदेश में वित्त वर्ष 2020 में 23 लाख निवेशक थे, जो कुल पंजीकृत निवेशकों का 7.4 फीसदी हिस्सा था। अब 1.10 करोड़ के साथ इसका हिस्सा 11.1 फीसदी हो गया है।
महाराष्ट्र-गुजरात में निवेशकों की हिस्सेदारी में गिरावट आई है। महाराष्ट्र में 1.67 करोड़ निवेशक हैं। 2020 में इसकी हिस्सेदारी 19.2 फीसदी थी, जो अब 16.8 फीसदी रह गई है।87 लाख निवेशकों के साथ गुजरात की हिस्सेदारी घटकर 8.8 फीसदी रह गई है।