नई दिल्ली :- सोमवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई GST काउंसिल की मीटिंग में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। खासकर डेबिट और क्रेडिट कार्ड पेमेंट्स पर लगने वाले 18% GST के मामले में काउंसिल ने फिलहाल राहत दी है। इसका मतलब यह है कि इस पर तुरंत कोई टैक्स वृद्धि नहीं की जाएगी जिससे उपभोक्ताओं को अभी के लिए राहत मिली है। इस बैठक में अन्य भी कई मुद्दों पर चर्चा की गई और फैसले लिए गए जिनका असर आने वाले समय में देखने को मिलेगा। काउंसिल इस मुद्दे पर किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई। आखिर में ऑनलाइन ट्रांजैक्शन टैक्स पर कोई फैसला नहीं सुनाया गया और मामले को फिटमेंट कमेटी के पास भेज दिया गया। अगली बैठक में फिटमेंट कमेटी की राय के साथ इस प्रस्ताव को नए सिरे से जीएसटी काउंसिल के समक्ष रखा जाएगा।
कमेटी पहले भी काउंसिल को विकल्प दे चुकी है। कमेटी का मानना है कि इस तरह के GST से ग्राहकों पर असर पड़ने की संभावना नहीं है। बैठक से पहले यह सवाल उठ रहे थे कि क्रेडिट-डेबिट कार्ड से होने वाले 2 हजार रुपए से कम के लेनदेन पर पेमेंट गेटवे को जीएसटी देने से छूट मिलेगी या नहीं। सूत्रों के मुताबिक जीएसटी काउंसिल की बैठक में यह तय हुआ कि पेमेंट गेटवे भी इसमें शामिल हैं। इसका मतलब है कि दो हजार रुपए तक के क्रेडिट- डेबिट कार्ड या QR कोड से होने वाले लेनदेन, जिन पर एग्रीगेटर फीस लगती है उस पर भी 18 प्रतिशत जीएसटी लगेगा।
फिटमेंट कमेटी करेगी विचार
एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के 80 फीसदी से ज्यादा ऑनलाइन पेमेंट्स 2000 रुपए से कम के होते हैं। 2016 में की गई नोटबंदी के दौरान सरकार ने एक अधिसूचना जारी की थी जिसके मुताबिक व्यापारियों को दी जाने वाली सेवाओं पर पेमेंट एग्रीगेटर टैक्स नहीं ले सकते थे। फिलहाल, एग्रीगेटर व्यापारियों से प्रति ट्रांजैक्शन 0.5% से 2% की रकम चार्ज करते हैं। ऐसे में अगर छोटे ट्रांजैक्शन पर जीएसटी लागू की जाती है तो पेमेंट एग्रीगेटर यह अतिरिक्त टैक्स अपने व्यापारियों से वसूल सकते हैं।