नई दिल्ली :- देश के पैरा-एथलीट्स ने गुरुवार 5 सितंबर 2024 को पेरिस में 25 पदकों का अपना घोषित लक्ष्य हासिल कर लिया और अधिक पदक जीतने की ओर अग्रसर हैं। दृष्टिबाधित कपिल परमार जूडो में भारत के पहले पैरालंपिक पदक विजेता बने। उन्होंने पुरुषों के 60 किग्रा (J1) वर्ग में कांस्य पदक जीता। पैरालंपिक खेलों में पदार्पण करने वाले 24 साल के कपिल परमार ने प्ले-ऑफ में ब्राजील के एलीलटन डी ओलिवेरा को 10-0 से हराया।
कपिल परमार ने पूरे मुकाबले में अपने प्रतिद्वंद्वी पर दबदबा बनाए रखा और अपने तथा अपने देश के लिए ऐतिहासिक पोडियम फिनिश हासिल की। कपिल के ब्रॉन्ज मेडल जीतते ही भारत के पदकों की संख्या बढ़कर 25 हो गई। भारत के पदकों में पांच स्वर्ण, नौ रजत और 11 कांस्य शामिल हैं। पेरिस पैरालंपिक की पदक तालिका में भारत 16वें स्थान पर है।
पैरालंपिक खेलों से पहले अपने अनुमान में भारतीय पैरालंपिक समिति ने कहा था कि उसे हर चार साल में होने वाले इस महाकुंभ से कम से कम 25 पदक जीतने की उम्मीद है। वह लक्ष्य पूरा हो गया है और अंतिम संख्या काफी अधिक हो सकती है। हालांकि, दोहरे अंकों में स्वर्ण पदक हासिल करने की उम्मीदें अधूरी रह सकती हैं।
कपिल परमार का पदक इस मेगा इवेंट में सबसे कम अपेक्षित पदकों में से एक रहा। हालांकि, यह पूरी तरह से आश्चर्यजनक नहीं था, क्योंकि उन्होंने पिछले साल पैरा-एशियाई खेलों में रजत पदक जीता था और 2019 कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता था। कपिल परमार लखनऊ में भारतीय दृष्टिहीन एवं पैरा जूडो अकादमी में प्रशिक्षण लेते हैं। J1 श्रेणी दृष्टिबाधित जूडोका के लिए आरक्षित है।
तीरंदाजी में टूटा भारतीयों का दिल
व्यक्तिगत स्वर्ण पदक विजेता हरविंदर सिंह और उनकी जोड़ीदार पूजा जत्यान मिक्स्ड टीम रिकर्व ओपन में कांस्य पदक जीतने के प्रबल दावेदार लग रहे थे, लेकिन ऐसा नहीं हो सका क्योंकि यह जोड़ी प्ले-ऑफ में स्लोवेनिया के जीवा लावरिंक और डेजान फैबिक के खिलाफ शूट-ऑफ में 4-5 से हार गई। बुधवार को भारत के पहले तीरंदाजी स्वर्ण पदक विजेता बनने के बाद हरविंदर के लिए कुछ और इतिहास रचने का मौका था।