रांची (झारखंड):- झारखंड विधानसभा चुनावों के लिए भले ही तारीखों का ऐलान ना हुआ हो लेकिन राज्य में सियासी उठापटक जारी है। झारखंड की राजनीति में इस वक्त सबसे ज्यादा सुर्खियों में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन हैं। चम्पाई सोरेन सिर्फ छह महीनों के लिए मुख्यमंत्री रहे थे। जिस तरह से चम्पाई को सीएम पद से हटाया गया, उसने झारखंड की राजनीति में भूचाल ला दिया है।
चम्पाई सोरेन के बगावत ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के भीतर भाई-भतीजावाद को उजागर किया है। झारखंड के राज्य आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले लंबे समय से समर्पित नेता चम्पाई सोरेन को दरकिनार करना ये बताता है कि सोरेन परिवार राज्य के कल्याण से ज्यादा अपने वंशवाद को कैसे प्राथमिकता देता है।
JMM में कैसे वफादार नेताओं को किया गया नजरअंदाज?
शिबू सोरेन की राजनीतिक चालबाजी और कानूनी परेशानियों के बाद हेमंत सोरेन का सत्ता पर जल्दी से कब्जा करना ये दिखाता है कि पार्टी में परिवारवाद ने घर कर लिया है। संकट के दौरान सरकार को स्थिर करने के चम्पाई सोरेन के प्रयासों के बावजूद उन्हें शिबू सोरेन के बेटे हेमंत के पक्ष में धकेल दिया गया।
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