लखनऊ (उत्तर प्रदेश):- उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने विभिन्न भाषणों और बयानों में शिक्षामित्रों की समस्याओं और उनके नियमितीकरण के मुद्दों पर चिंता जताई थी। उन्होंने कहा था कि सरकार शिक्षामित्रों के हितों की रक्षा करेगी और उनकी समस्याओं का समाधान करने के लिए काम करेगी।
हालांकि, जब वे सत्ता में आए, तो कुछ उम्मीदें थीं कि उनकी सरकार शिक्षामित्रों के लिए ठोस कदम उठाएगी। लेकिन स्थिति में बहुत बड़े बदलाव देखने को नहीं मिले हैं जिससे शिक्षामित्रों में निराशा हो सकती है।
इसका एक कारण यह हो सकता है कि सरकारी नीतियों और निर्णयों में विभिन्न प्रकार की प्रशासनिक और कानूनी चुनौतियाँ होती हैं। शिक्षामित्रों की स्थायी नियुक्ति और वेतन वृद्धि जैसे मुद्दों में कानूनी और संवैधानिक बाधाएँ आ सकती हैं, जिन्हें पार करना सरकार के लिए मुश्किल हो सकता है।
साथ ही सरकार को अन्य कई क्षेत्रों में भी संतुलन बनाना पड़ता है जिससे हर वर्ग की समस्याओं को एक साथ हल करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। इन सबके बावजूद शिक्षामित्रों को अपनी मांगों के प्रति सचेत रहने की आवश्यकता है और सरकार से संवाद बनाए रखना आवश्यक है।
इस स्थिति में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि भविष्य में योगी आदित्यनाथ सरकार किस प्रकार से शिक्षामित्रों की समस्याओं को हल करने के लिए कदम उठाती है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा शिक्षामित्र के संदर्भ में कही गई पूर्व की बातें मगर सत्ता की चाबी जब स्वयं मुख्यमंत्री के हाथ में हो तब उत्तर प्रदेश के शिक्षामित्रों की दशा क्यों नहीं सुधार रहे हैं।7 वर्षों में 11000 शिक्षामित्रों ने मौत के दरवाजे पर दस्तक दी। मात्र ₹10000 मानदेय के चक्कर में शिक्षामित्रों की तीन पीढियां बर्बाद हो गई हैं।
इको गार्डन में 5 सितंबर से होगा विशाल धरना प्रदर्शन
मृतक शिक्षामित्रों के आश्रितों को नौकरी और मुआवजा दे सरकार-अशोक कुमार श्रीवास्तव, अरविंद सिंह, विवेकानंद मिश्र।
स्थाई समाधान लिए बगैर नहीं लौटेंगे इको गार्डन से-जिला अध्यक्ष
2015 में जब समायोजन रद्द हुआ था तब मुख्यमंत्री गोरखपुर के सांसद हुआ करते थे।