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बिना मान्यता प्राप्त मदरसा में चल रहा था नकली नोटों की छपाई का काला धंधा

प्रयागराज (उत्तर प्रदेश):- बिना मान्यता के चल रहे मदरसे में रोजाना 20 हजार रुपये की भारतीय नकली नोट की छपाई होती थी। इसके लिए अच्छी क्वालिटी का कागज, स्याही इस्तेमाल की जाती थी। प्रिंटेड नोट को पटरी की मदद से कटर ब्लेड के जरिए बड़े सलीके से काटा जाता था। इसके बाद असली नोट में इस्तेमाल होने वाले मैटेलिक धागे की तरह नकली नोट पर हरे रंग का चमकीला टेप लगाते थे, ताकि देखने वालों की आंखें धोखा खा जाएं।

आरोपित यह जानते थे कि पांच सौ रुपये की नोट को लेने से पहले कोई भी दुकानदार कई बार उलट-पलट कर देखता है, लिहाजा मौलवी समेत अन्य ने 100-100 रुपये की नोट ही छापने का प्लान बनाया था। पुलिस का कहना है कि गिरोह का सरगना जाहिर खान और मो. अफजल दिन में नोटों की छपाई करते थे। वह हाई क्वालिटी के स्कैनर से 100 रुपये की नोट को स्कैन करते थे और फिर उसी सिरीज के नोट का प्रिंट निकालते थे।

प्रिंटेड नोट की पटरी की मदद से करते थे कटाई

रात को साइज के अनुसार ही नोट की कटाई करते थे और फिर उसकी गड्डी बनाकर रखते थे। इसके बाद अफजल अपने साथी सादिक के साथ नोट लेकर बाहर निकलते थे। वह रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड अथवा ऐसी जगह पहुंचते थे, जहां लोगों को कहीं भी आने-जाने की जल्दी रहती थी।

अफजल व सादिक अपने संपर्क में रहने वाले लड़कों को नकली नोट देते थे और छोटा-छोटा सामान खरीदने के लिए कहते थे। नकली नोट लेने वाले व्यक्ति को अगर विश्वास नहीं होता था तो चाय-पान, नाश्ते की दुकान पर पानी की बोतल सहित अन्य सामान खरीदते थे। इसके बाद दुकानदार को नकली नोट पकड़ा देते थे, जो बिना जांच के रख लेता था।

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