नई दिल्ली :- भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अनिल अंबानी और 24 अन्य संस्थाओं को पांच साल के लिए पूंजी बाजार से प्रतिबंधित कर दिया है, वहीं रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड के फोरेंसिक ऑडिट में पाया गया कि समीक्षा के समय कंपनी के पास अभी भी “संभावित रूप से अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ी संस्थाओं” के 8,884.5 करोड़ रुपये के ऋण बकाया थे।
ऑडिट में कंपनी की ऋण देने की प्रथाओं में कई खामियां पाई गईं। उनमें से कुछ में ऋण स्वीकृति प्रक्रियाओं में विसंगतियां और वितरण से ठीक पहले संबंधित पक्षों को ऋण का गैर-संबंधित पक्षों के रूप में पुनर्वर्गीकरण शामिल था। ऑडिटरों ने यह भी पाया कि उधारकर्ता संस्थाओं के पुनर्भुगतान पैटर्न ने कुछ प्रवृत्तियों का संकेत दिया, जैसे कि सर्कुलर लेनदेन और कई लेनदेन में ऋणों का सदाबहार होना।
बाजार नियामक ने अनिल अंबानी और 24 अन्य संस्थाओं को रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड से धन के डायवर्जन के लिए पूंजी बाजार से प्रतिबंधित कर दिया। आरएचएफएल को केवल छह महीने के लिए प्रतिबंधित किया गया था। सेबी ने आरएचएफएल के वैधानिक लेखा परीक्षक पीडब्ल्यूसी और बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा नियुक्त फोरेंसिक ऑडिटर ग्रांट थॉर्नटन की दो रिपोर्टों को ध्यान में रखा, जो कंपनी के ऋणदाताओं के संघ का प्रमुख बैंक था। बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा नियुक्त फोरेंसिक ऑडिटर ग्रांट थॉर्टन द्वारा जारी दो रिपोर्टों के अनुसार, आरएचएफएल ने 1 अप्रैल, 2016 और 30 जून, 2019 के बीच ‘संभावित रूप से अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ी संस्थाओं’ को ऋण वितरित किए।