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जानिए क्यों मनाया जाता है मोहर्रम, पढ़िए मोहर्रम से जुड़े तमाम किस्से….

नई दिल्ली :- मुस्लिम समुदाय में मुहर्रम एक महत्वपूर्ण पर्व है। इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक मोहर्रम के महीने से ही नए साल की शुरुआत (Muharram 2024) होती है। यह महीना बकरीद के 20 दिन बाद से शुरू हो जाता है। रमजान के बाद मुहर्रम को खास तवज्जो दी गई है, इस पर्व को भी काफी पाक माना जाता है।

मुहर्रम का 10वां दिन मुसलमानों के लिए काफी जरूरी होता है। इस दिन को यौम-ए-आशूरा (Muharram 2024) कहा जाता है और मुहर्रम का त्योहार भी 10वें दिन मनाया जाता है, जो इस साल कल यानी 17 जुलाई को है।

क्यों मनाया जाता है मुहर्रम

यौम-ए-आशूरा के 10वें दिन को मुहर्रम कहा जाता है। इस्लामिक मान्यता के मुताबिक, इसी दिन हजरत (Muharram 2024) रसूल के नवासे (नाती) हजरत इमाम हुसैन के उनके बेटे, घरवाले और उनके परिवार वाले इराक के शहर कर्बला के मैदान में शहीद हो गए थे।

कहा जाता है कि 680 हिजरी के इसी माह में सच्चाई के लिए धर्म युद्ध हुआ था, जिसमें पैगम्बर हजरत मुहम्म्द साहब के नाती और इब्नज्याद के बीच हुई थी। इस जंग में जीत हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की हुई थी। लेकिन इब्नज्याद के कमांडर शिम्र ने हजरत हुसैन अलैहिस्सलाम (Muharram 2024) और उनके सभी 72 साथियों (परिवार वालो) को शहीद (Muharram 2024) कर दिया था। इस जंग में उनके 6 माह के बेटे हज़रत अली असगर भी शामिल थे। तभी से इस दिन खुशी की जगह शोक मनाया जाता है।

कैसे मनाया जाता है मुहर्रम?

मुहर्रम के दिन शिया समुदाय के लोग जुलूस निकालते हैं। यह दिन शोक, गम और त्याग (Muharram 2024) का प्रतीक होता है। इस दिन लोग काले रंग के कपड़ें पहनते हैं, छाती पीटते हैं और कर्बला की जंग में शहादत (Muharram 2024) होने वालों को याद करते हुए ताजिया जुलूस निकालते हैं। वहीं सुन्नी समुदाय के लोग यौम-ए-आशूरा के दिन व्रत रखते हैं।

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